Jhabua Radio Tantya Bhil 90.8 FM- रेडियो टांटिया भील 90.8 एफएम: झाबुआ की आवाज़

(Radio Tantya Bhil 90.8 FM) रेडियो टांटिया भील 90.8 एफएम, झाबुआ जिले का एक अनोखा सामुदायिक रेडियो स्टेशन है, जो इस क्षेत्र की स्थानीय संस्कृति, भाषा, और परंपराओं को संजोए रखने का एक बेहतरीन माध्यम है। यह रेडियो स्टेशन तांतिया भील, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, के नाम पर स्थापित किया गया है और उनकी विरासत को सम्मानित करता है। इसे भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के सहयोग से शुरू किया गया है। 

स्थापना और उद्देश्य

Jhabua Radio Tantya Bhil 90.8 FM- झाबुआ रेडियो टांटिया भील 90.8 एफएम
रेडियो टांटिया भील 90.8 एफएम का मुख्य उद्देश्य झाबुआ जिले के आदिवासी समुदाय की आवाज़ को मुख्यधारा में लाना है। इसे 2012 में शुरू किया गया था और तब से यह झाबुआ के गांव-गांव में अपनी पहचान बना चुका है। यह रेडियो स्टेशन आदिवासी भाषा (भीली और अन्य स्थानीय बोलियां) और हिंदी में कार्यक्रम प्रसारित करता है, जिससे स्थानीय लोग आसानी से जुड़ पाते हैं। यह रेडियो स्टेशन क्षेत्र के किसानों को कृषि से जुड़ी अहम जानकारियां प्रदान करेगा। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं, गतिविधियों और अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी भी यहां से प्रसारित होगी। विशेष रूप से आदिवासी संस्कृति और परंपरा को प्रोत्साहित करने के लिए इसे एक मंच के रूप में तैयार किया गया है। यहां कार्यक्रम भीली बोली और हिंदी में प्रसारित किए जाएंगे, जिससे स्थानीय समुदाय अधिक जुड़ाव महसूस कर सके।

कार्यक्रम और सामग्री

  • रेडियो टांटिया भील पर प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रम झाबुआ के लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी, उनकी समस्याओं, और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को केंद्र में रखते हैं।
  • शिक्षा और जागरूकता: स्वच्छता, स्वास्थ्य, कृषि, और महिलाओं के अधिकारों पर आधारित कार्यक्रम।
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम: भील जनजाति के लोकगीत, पारंपरिक नृत्य, और कहानियों का प्रसारण।
  • सामुदायिक समस्याओं पर चर्चा: गांव के मुद्दों पर स्थानीय नेताओं और विशेषज्ञों से चर्चा।
  • मनोरंजन: संगीत, कविता, और नाटक।

विशेषताएं

  1. स्थानीय प्रतिभा को बढ़ावा: रेडियो स्टेशन ने कई स्थानीय कलाकारों, गायकों, और लेखकों को एक मंच दिया है।
  2. जन भागीदारी: लोग अपने अनुभव, सुझाव और समस्याएं सीधे रेडियो पर साझा कर सकते हैं।
  3. महिलाओं का सशक्तिकरण: महिलाओं द्वारा संचालित और उनके लिए विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण।

आदिवासी अंचल में रेडियो की विरासत

गौरतलब है कि आदिवासी क्षेत्रों में पहला रेडियो स्टेशन 2011 में आलीराजपुर जिले के चंद्रशेखर आजादनगर (भाबरा) में शुरू हुआ था। हालांकि, वर्तमान में वहां केवल पहले से रिकॉर्ड किए गए कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।

संचालन और वित्तीय सहयोग

इस रेडियो स्टेशन का संचालन सरकारी विभागों के सहयोग और विज्ञापनों से जुटाई गई आय से किया जाएगा। सेटअप के लिए सरकार ने 25 लाख रुपये की सहायता दी है। तीन साल तक कृषि विभाग इसे चलाने में सहयोग करेगा। फिलहाल, स्टेशन पर दो रेडियो जॉकी तैनात हैं। यह रेडियो स्टेशन न केवल सूचनाओं का प्रसार करेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए एक सशक्त माध्यम भी बनेगा, जो उनके जीवन और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करेगा।

सामुदायिक प्रभाव

रेडियो टांटिया भील ने झाबुआ के आदिवासी समुदाय के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। इसने शिक्षा, स्वास्थ्य, और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया है। इसके अलावा, स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करने और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

रेडियो टांटिया भील 90.8 एफएम केवल एक रेडियो स्टेशन नहीं है, बल्कि यह झाबुआ के आदिवासी समाज की आत्मा है। यह एक ऐसा माध्यम है, जो स्थानीय लोगों को न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि उनकी समस्याओं का समाधान खोजने और उनकी पहचान को संजोने का भी काम करता है।

झाबुआ की यह आवाज़ सचमुच देशभर में सामुदायिक रेडियो की प्रेरणा है।

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