झाबुआ पंचायत घोटाला: ऑडिट रिपोर्ट ने खोली पोल, पंचायत कर्मचारियों ने करोड़ों का किया घोटाला, तीन कर्मचारी निलंबित, FIR दर्ज

- रामा जनपद पंचायत में वित्तीय अनियमितता
- 1.92 करोड़ रुपये का घोटाला
- 3 कर्मचारी निलंबित, पूर्व CEO के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव
- FIR धारा 420 व 406 (अमानत में खयानत) के तहत दर्ज
झाबुआ जिले की रामा जनपद पंचायत में 1.92 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले का भंडाफोड़ - कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशन में त्वरित कार्रवाई कर तीन कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज, तत्कालीन सीईओ निलंबित ।
जांच रिपोर्ट के अनुसार रामा जनपद पंचायत में तैनात तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर पवन मिश्रा, सहायक लेखाधिकारी मोतीलाल अड़ एवं सहायक ग्रेड-3 विक्रम पारगी द्वारा शासकीय निधियों का व्यवस्थित ढंग से दुरुपयोग किया गया। आरोपों के अनुसार इन कर्मचारियों ने विभिन्न योजनाओं की धनराशि को अपने निजी बैंक खातों में स्थानांतरित करने के साथ-साथ फर्जी बिल बनाकर बड़ी मात्रा में सरकारी धन की हेराफेरी की। जांच में पाया गया कि पवन मिश्रा ने अपने और अपनी पत्नी के बैंक खातों में 25 मई 2023 को एक ही दिन में पांच अलग-अलग किश्तों में कुल 52 लाख 27 हजार 875 रुपये जमा किए । इसके अतिरिक्त सहायक लेखाधिकारी मोतीलाल अड़ के बैंक खाते में 2 लाख 38 हजार 296 रुपये तथा सहायक ग्रेड-3 विक्रम पारगी के खाते में 2 लाख 37 हजार 50 रुपये अनियमित तरीके से जमा किए गए।
थाना कालीदेवी में दर्ज इस मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है जिसमें समय-समय पर नए दस्तावेजों के मिलने पर अतिरिक्त कानूनी धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं। पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ला के निर्देशन में विशेष जांच टीम द्वारा आरोपियों के बैंक लेन-देन, संपत्ति विवरण एवं अन्य साक्ष्यों की छानबीन की जा रही है। प्रारंभिक जांच में यह संदेह व्यक्त किया गया है कि यह घोटाला कुछ और अधिकारियों/कर्मचारियों की सांठगांठ से संपन्न हुआ हो सकता है जिसकी गहराई से जांच की जा रही है। झाबुआ जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी प्रकरण दर्ज किए जाने की संभावना है। आरोपियों की संपत्ति की जांच भी प्रस्तावित है जिससे यह पता लगाया जा सके कि हेराफेरी की गई राशि का उपयोग किस प्रकार किया गया। कलेक्टर नेहा मीना द्वारा इस मामले में की गई त्वरित कार्रवाई को प्रशासनिक स्तर पर सराहा जा रहा है जो जिले में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इस संपूर्ण प्रकरण ने जनपद पंचायत स्तर पर वित्तीय प्रबंधन एवं निगरानी तंत्र में गंभीर कमियों को उजागर किया है जिसके निवारण हेतु जिला प्रशासन द्वारा विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। सभी जनपद पंचायतों को नियमित ऑडिट एवं आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही वित्तीय अनियमितताओं पर अंकुश लगाने हेतु त्रिस्तरीय जांच तंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इस घोटाले ने स्थानीय स्तर पर काफी चर्चा को जन्म दिया है एवं आम जनता द्वारा कलेक्टर की कार्रवाई की सराहना की जा रही है।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है क्योंकि जांच द्वारा प्राप्त कुछ साक्ष्य अभी विश्लेषणाधीन हैं। पुलिस द्वारा आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है एवं तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े कुछ और नाम सामने आ सकते हैं। जिला प्रशासन द्वारा इस संबंध में कोई भी ठोस जानकारी सार्वजनिक करने से अभी परहेज किया जा रहा है क्योंकि यह संवेदनशील मामला है एवं जांच प्रक्रिया अभी चल रही है। इस वित्तीय अनियमितता के मामले ने पूरे मध्य प्रदेश में हलचल मचा दी है एवं प्रशासनिक सुधारों की मांग तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के घोटालों को रोकने हेतु डिजिटल पेमेंट सिस्टम को अनिवार्य बनाने, रियल टाइम ऑडिटिंग व्यवस्था लागू करने एवं जनपद स्तर पर वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। यह मामला आने वाले दिनों में प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
जांच दल गठित
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को विशेष जांच दल गठित करने के निर्देश दिए गए हैं, जो इस मामले की गहराई से छानबीन करेंगे। प्रारंभिक जांच में संलिप्त पाए गए सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
नेहा मीना, जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट
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