झाबुआ पंचायत घोटाला: ऑडिट रिपोर्ट ने खोली पोल, पंचायत कर्मचारियों ने करोड़ों का किया घोटाला, तीन कर्मचारी निलंबित, FIR दर्ज

Jhabua Panchayat scam: Audit report exposed the truth, Panchayat employees committed fraud worth crores, three employees suspended, FIR registered..
Jhabua News- Jhabua Panchayat scam: Audit report exposed the truth, Panchayat employees committed fraud worth crores, three employees suspended, FIR registered- झाबुआ पंचायत घोटाला: ऑडिट रिपोर्ट ने खोली पोल, पंचायत कर्मचारियों ने करोड़ों का किया घोटाला, तीन कर्मचारी निलंबित, FIR दर्ज
  •  रामा जनपद पंचायत में वित्तीय अनियमितता
  • 1.92 करोड़ रुपये का घोटाला
  • 3 कर्मचारी निलंबित, पूर्व CEO के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव
  • FIR धारा 420 व 406 (अमानत में खयानत) के तहत दर्ज

झाबुआ जिले की रामा जनपद पंचायत में 1.92 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले का भंडाफोड़ - कलेक्टर नेहा मीना के निर्देशन में त्वरित कार्रवाई कर तीन कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज, तत्कालीन सीईओ निलंबित ।  

Jhabua News- Jhabua Panchayat scam: Audit report exposed the truth, Panchayat employees committed fraud worth crores, three employees suspended, FIR registered- झाबुआ पंचायत घोटाला: ऑडिट रिपोर्ट ने खोली पोल, पंचायत कर्मचारियों ने करोड़ों का किया घोटाला, तीन कर्मचारी निलंबित, FIR दर्ज
झाबुआ।  जिला प्रशासन द्वारा रामा जनपद पंचायत में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 1 करोड़ 92 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश किया गया है जिसमें पंचायत के तीन कर्मचारियों द्वारा शासकीय निधियों का व्यवस्थित दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस संबंध में कलेक्टर नेहा मीना के दिशा-निर्देश पर गठित विशेष जांच दल द्वारा प्रस्तुत विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर कालीदेवी थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 420  व 406 (अमानत में खयानत) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है साथ ही संभागायुक्त इंदौर द्वारा तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेंद्र सिंह रावत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। घोटाले का खुलासा तब हुआ जब वित्तीय वर्ष 2023-24 की नियमित ऑडिट रिपोर्ट में रामा जनपद पंचायत के लेखा-जोखा में गंभीर विसंगतियां पाई गईं जिसके परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर नेहा मीना ने तत्काल जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जितेंद्र सिंह चौहान को विस्तृत जांच के निर्देश देते हुए एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया। इस समिति में एडिशनल सीईओ दिनेश वर्मा, जिला पंचायत के वरिष्ठ लेखाधिकारी पंकज डावर एवं जिला कोषाधिकारी ममता चंगोड़ को शामिल किया गया जिसने अपनी गहन छानबीन में 1.92 करोड़ रुपये की भारी मात्रा में वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाया।

    जांच रिपोर्ट के अनुसार रामा जनपद पंचायत में तैनात तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर पवन मिश्रा, सहायक लेखाधिकारी मोतीलाल अड़ एवं सहायक ग्रेड-3 विक्रम पारगी द्वारा शासकीय निधियों का व्यवस्थित ढंग से दुरुपयोग किया गया। आरोपों के अनुसार इन कर्मचारियों ने विभिन्न योजनाओं की धनराशि को अपने निजी बैंक खातों में स्थानांतरित करने के साथ-साथ फर्जी बिल बनाकर बड़ी मात्रा में सरकारी धन की हेराफेरी की। जांच में पाया गया कि पवन मिश्रा ने अपने और अपनी पत्नी के बैंक खातों में 25 मई 2023 को एक ही दिन में पांच अलग-अलग किश्तों में कुल 52 लाख 27 हजार 875 रुपये जमा किए । इसके अतिरिक्त सहायक लेखाधिकारी मोतीलाल अड़ के बैंक खाते में 2 लाख 38 हजार 296 रुपये तथा सहायक ग्रेड-3 विक्रम पारगी के खाते में 2 लाख 37 हजार 50 रुपये अनियमित तरीके से जमा किए गए। 

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घोटाले के अन्य प्रमुख बिंदुओं में बैनर और प्रचार सामग्री , निर्वाचन व्यय आदि कार्यो में फ़र्ज़ी बिलो के आधार पर अनियमित भुगतान किया गया। जांच में स्टॉक रजिस्टर में एंट्री न करके फर्जी बिल बनाने की प्रवृत्ति भी सामने आई जिससे सामग्री की वास्तविक खरीद पर संदेह उत्पन्न होता है। इन गंभीर आरोपों के मद्देनजर कलेक्टर नेहा मीना ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पवन मिश्रा को पद से हटाने एवं विक्रम पारगी को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के तहत निलंबित कर दिया। साथ ही तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी वीरेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु संभागायुक्त इंदौर को प्रस्ताव भेजा गया जिसके परिणामस्वरूप संभागायुक्त दीपक सिंह ने रावत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

    थाना कालीदेवी में दर्ज इस मामले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है जिसमें समय-समय पर नए दस्तावेजों के मिलने पर अतिरिक्त कानूनी धाराएं भी जोड़ी जा सकती हैं। पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ला के निर्देशन में विशेष जांच टीम द्वारा आरोपियों के बैंक लेन-देन, संपत्ति विवरण एवं अन्य साक्ष्यों की छानबीन की जा रही है। प्रारंभिक जांच में यह संदेह व्यक्त किया गया है कि यह घोटाला कुछ और अधिकारियों/कर्मचारियों की सांठगांठ से संपन्न हुआ हो सकता है जिसकी गहराई से जांच की जा रही है। झाबुआ जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी प्रकरण दर्ज किए जाने की संभावना है। आरोपियों की संपत्ति की जांच भी प्रस्तावित है जिससे यह पता लगाया जा सके कि हेराफेरी की गई राशि का उपयोग किस प्रकार किया गया। कलेक्टर नेहा मीना द्वारा इस मामले में की गई त्वरित कार्रवाई को प्रशासनिक स्तर पर सराहा जा रहा है जो जिले में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इस संपूर्ण प्रकरण ने जनपद पंचायत स्तर पर वित्तीय प्रबंधन एवं निगरानी तंत्र में गंभीर कमियों को उजागर किया है जिसके निवारण हेतु जिला प्रशासन द्वारा विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। सभी जनपद पंचायतों को नियमित ऑडिट एवं आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही वित्तीय अनियमितताओं पर अंकुश लगाने हेतु त्रिस्तरीय जांच तंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इस घोटाले ने स्थानीय स्तर पर काफी चर्चा को जन्म दिया है एवं आम जनता द्वारा कलेक्टर की कार्रवाई की सराहना की जा रही है। 

    प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना है क्योंकि जांच द्वारा प्राप्त कुछ साक्ष्य अभी विश्लेषणाधीन हैं। पुलिस द्वारा आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है एवं तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े कुछ और नाम सामने आ सकते हैं। जिला प्रशासन द्वारा इस संबंध में कोई भी ठोस जानकारी सार्वजनिक करने से अभी परहेज किया जा रहा है क्योंकि यह संवेदनशील मामला है एवं जांच प्रक्रिया अभी चल रही है। इस वित्तीय अनियमितता के मामले ने पूरे मध्य प्रदेश में हलचल मचा दी है एवं प्रशासनिक सुधारों की मांग तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के घोटालों को रोकने हेतु डिजिटल पेमेंट सिस्टम को अनिवार्य बनाने, रियल टाइम ऑडिटिंग व्यवस्था लागू करने एवं जनपद स्तर पर वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। यह मामला आने वाले दिनों में प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

जांच दल गठित 

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को विशेष जांच दल गठित करने के निर्देश दिए गए हैं, जो इस मामले की गहराई से छानबीन करेंगे। प्रारंभिक जांच में संलिप्त पाए गए सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।

 नेहा मीना, जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट

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