संत श्री खूम सिंह जी महाराज की पुण्यतिथि पर समाज सेवा का संकल्प

Jhabua News-  Vishva Hindu Parishad Jhabua- Resolution of social service on the death anniversary of Sant Shri Khoom Singh Ji Maharaj संत श्री खूम सिंह जी महाराज की पुण्यतिथि पर समाज सेवा का संकल्प

झाबुआ। संत श्री खुमसिंह जी महाराज की सातवीं पुण्यतिथि मौनी अमावस्या पर समाधि स्थल महादेव धाम कोकावद पर कार्यक्रम एवं भव्य सभा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया। इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् के आज़ाद प्रेमसिंह ने संत खूम सिंह जी महाराज के समाज सुधार कार्यों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया और उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की अपील की।

संतों का समाज में योगदान अमूल्य

प्रेम सिंह आज़ाद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि महापुरुषों का योगदान समाज में अनमोल होता है। उन्होंने कहा, "ऐसे संत और समाज सुधारक सदियों में कभी-कभार जन्म लेते हैं, जिनका पूरा जीवन समाज, धर्म और मानवता की सेवा में समर्पित रहता है। संत खूम सिंह जी महाराज का जीवन इसी का उदाहरण है। उन्होंने पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ समाज के गरीब, शोषित और वंचित वर्गों की सेवा की।" उन्होंने आगे कहा कि महाराज ने कभी किसी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया, न ही किसी गरीब को कष्ट पहुंचाया। उनका पूरा जीवन धार्मिक, सामाजिक और नैतिक मूल्यों की रक्षा में व्यतीत हुआ। "आज हम सभी को उनके आदर्शों को अपनाकर समाज को संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।"

संघर्ष और समाज सेवा का अनुभव

प्रेम सिंह आज़ाद ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि उन्होंने संत खूम सिंह जी महाराज के साथ नंगे पैर समाज सुधार की यात्राएं कीं। उन्होंने कहा, "हमारे पास न तो जूते थे, न ही चप्पल, और कभी-कभी तो भोजन की भी व्यवस्था नहीं होती थी। लेकिन उस समय कोई राजनीति नहीं थी, कोई स्वार्थ नहीं था, केवल समाज की भलाई के लिए समर्पण था।"

उन्होंने आगे कहा कि समाज में सुधार लाने के लिए व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर कार्य करने की आवश्यकता होती है। "आज हम सक्षम हैं, और भले ही संत, भगतन बन पाए हों, लेकिन उनके विचारों ने हमें आत्मनिर्भर बनाया है। समाज की भलाई के लिए काम करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।"

निस्वार्थ सेवा ही सच्ची श्रद्धांजलि

प्रेम सिंह ने सभा में जोर देते हुए कहा कि समाज सेवा में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, "आज आवश्यकता इस बात की है कि हम बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की आशा के पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ समाज की सेवा करें।" उन्होंने कहा कि समाज को मजबूत बनाने के लिए हमें अपनी सोच को विस्तृत करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि "धन-दौलत सब कुछ नहीं होता, बल्कि समाज के उत्थान के लिए किए गए कार्य ही असली संपत्ति होते हैं। संत खूम सिंह जी महाराज का जीवन इसी बात का प्रमाण है कि यदि हम सच्ची निष्ठा से समाज की सेवा करें, तो समाज खुद ही सक्षम और सशक्त हो जाएगा।" "सच्ची सेवा वही होती है, जो बिना किसी स्वार्थ और लालच के की जाए। हमें भी उन्हीं के दिखाए मार्ग पर चलते हुए निःस्वार्थ भाव से समाज की बेहतरी के लिए काम करना चाहिए।"

भविष्य की योजनाएं और समाज सुधार का लक्ष्य

सभा में प्रेम सिंह आज़ाद ने इस बात का संकेत दिया कि आने वाले समय में समाज सुधार और सामाजिक बदलाव के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि समाज में मौजूद विभिन्न समस्याओं को दूर करने और धार्मिक एकता बनाए रखने के लिए कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जल्द ही 15 से 20 दिनों के भीतर एक नई पहल शुरू की जाएगी, जिसका उद्देश्य समाज को एक नई दिशा देना और लोगों को संत खूम सिंह जी महाराज के विचारों से प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा, "हम कुछ ऐसा करने वाले हैं, जिससे समाज में एक नई जागरूकता आएगी और लोग स्वाभाविक रूप से धर्म और समाज सेवा की दिशा में आगे बढ़ेंगे।"_ उन्होंने आगे कहा कि "यह आंदोलन सिर्फ एक अभियान नहीं बल्कि एक मिशन होगा, जो समाज की बेहतरी के लिए होगा। चाहे इसके लिए कितनी भी चुनौतियां आएं, हम अपने संकल्प से पीछे नहीं हटेंगे।"

समाज को संगठित करने की आवश्यकता

सभा में प्रेम सिंह ने इस बात पर विशेष बल दिया कि यदि समाज को मजबूत बनाना है, तो उसे संगठित करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, "अगर हम संगठित होंगे, तो समाज में मौजूद बुराइयों को आसानी से समाप्त कर सकते हैं। समाज की एकता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है, और हमें इसे बनाए रखना चाहिए।"_ उन्होंने उपस्थित युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि वे समाज की सेवा में आगे आएं और अपने कर्तव्यों को समझें। उन्होंने कहा, "युवाओं को चाहिए कि वे समाज सुधार और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाएं। संघर्ष जीवन का हिस्सा है, लेकिन अगर हम हार नहीं मानें, तो हमें सफलता जरूर मिलेगी।

महापुरुषों के विचारों को आगे बढ़ाने की अपील

सभा के अंत में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज की एकता और सशक्तिकरण ही संत खूम सिंह जी महाराज के विचारों की सच्ची विरासत होगी। उन्होंने कहा, "अगर हम संगठित रहेंगे, तो समाज में किसी भी प्रकार की बुराई को खत्म किया जा सकता है। हमें एकजुट होकर समाज की भलाई के लिए कार्य करना होगा और आने वाली पीढ़ियों को भी इसी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना होगा।" उन्होंने कहा, "हम सभी को समाज सेवा, धार्मिक जागरूकता और सामाजिक न्याय के लिए कार्य करना चाहिए। यदि हम ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, तो हमारा समाज और अधिक सक्षम और सशक्त बनेगा।"_ उन्होंने कहा कि "आज हम सभी उनके विचारों के कारण ही सक्षम हैं, और हमें इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उठानी होगी। यदि हम उनके आदर्शों पर चलेंगे, तो समाज में सकारात्मक बदलाव निश्चित रूप से आएगा।

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