जैविक खेती के सामाजिक-उद्यमी उपक्रम झाबुआ नेचुरल्स की शुरुआत: किसानों ने खोला स्वयं का उपक्रम
झाबुआ। जिले में किसानों ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाते हुए जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए झाबुआ नेचुरल्स आउटलेट की शुरुआत की है। रविवार को इस आउटलेट का उद्घाटन पद्म श्री महेश शर्मा ने किया, जो किसानों की मेहनत और धरती माता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस पहल में 40 गांवों के 350 से अधिक किसान जुड़े हैं, जो जैविक खेती के माध्यम से रसायन मुक्त सब्जियां और अन्य कृषि उत्पादों का उत्पादन कर रहे हैं। यह पहल झाबुआ के राजगढ़ नाके पर स्थित झाबुआ नेचुरल्स आउटलेट से शुरू की गई है, जो किसानों को एक नया बाजार और उनके उत्पादों को एक सुरक्षित और समृद्ध स्थान प्रदान करने का प्रयास करती है। जब किसानों ने यह महसूस किया कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अधिक उपयोग न केवल भूमि की उर्वरता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह समाज में विभिन्न बीमारियों के बढ़ने का कारण भी बन रहा है, तब उन्होंने जैविक खेती की ओर रुख किया। इस बदलाव के साथ किसानों का उद्देश्य सिर्फ अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना नहीं था, बल्कि वे चाहते है कि वे रसायन मुक्त, प्राकृतिक खेती के माध्यम से अपनी भूमि और पर्यावरण की रक्षा कर सकें। झाबुआ नेचुरल्स का उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि वे अपने उत्पादों को सीधे बाजार में ला सकें और उन्हें एक अच्छा मूल्य मिल सके। इसके माध्यम से किसानों को न केवल आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी, बल्कि वे अपने उत्पादों के साथ समाज को स्वस्थ और स्वच्छ जीवन प्रदान करने में भी सफल होंगे।
पद्म श्री महेश शर्मा ने उद्घाटन समारोह में कहा कि झाबुआ नेचुरल्स न केवल एक व्यापारिक उपक्रम है, बल्कि यह आदिवासी किसानों की मेहनत, उनके संघर्ष और उनके जीवन में बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम भी है। उन्होंने यह भी कहा कि जैविक खेती के माध्यम से किसान न केवल अपनी ज़मीन को बचा रहे हैं, बल्कि वे पर्यावरण को भी संरक्षित कर रहे हैं। महेश शर्मा ने इस पहल की सराहना करते हुए यह भी कहा कि झाबुआ नेचुरल्स किसानों को बाजार तक पहुँच प्रदान कर, उन्हें एक मजबूत और आत्मनिर्भर आर्थिक स्थिति में ला रहा है, जो न केवल उनके लिए बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इस प्रकार के उपक्रम पूरे देश में ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में नए अवसरों का सृजन करेंगे और समग्र विकास के रास्ते खोलेंगे। कार्यक्रम में झाबुआ नेचुरल्स के किसानों ने अपनी मेहनत और संघर्ष को साझा किया और अपने अनुभवों से यह साबित किया कि अगर सही दिशा में काम किया जाए, तो आदिवासी क्षेत्र भी प्रगति और समृद्धि की ओर बढ़ सकता है। महेश शर्मा ने इस पहल को झाबुआ के विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया और कहा कि यह initiative न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि यह पूरे इलाके के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को भी सुदृढ़ करेगा। झाबुआ के वनवासी, जो जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन की रक्षा कर रहे हैं, हमें एक समृद्ध समाज की ओर प्रेरित कर रहे हैं। इन किसानों के प्रयासों से यह संदेश मिलता है कि समृद्ध गांवों से ही समृद्ध भारत का निर्माण संभव है। झाबुआ नेचुरल्स का उदय आदिवासी समाज के आत्मनिर्भरता की ओर एक अहम कदम है, और यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है। यह पहल सिर्फ एक व्यापारिक उद्यम नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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