भुवनेश्वर में आयोजित ट्राइबल क्वीन इंडिया कॉन्टेस्ट में गीता भूरिया ने झाबुआ की आदिवासी कला और संस्कृति का सम्मान बढ़ाया, बनी "बेस्ट प्रेजेंटेशन ऑफ ट्राइब कल्चर" विजेता
झाबुआ। उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित ट्राइबल क्वीन इंडिया कॉन्टेस्ट 2025 में भारत के विभिन्न राज्यों से आदिवासी प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य भारतीय आदिवासी समुदाय की समृद्ध कला, संस्कृति और जीवनशैली को व्यापक मंच पर प्रस्तुत करना था। इस मौके पर मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की गीता भूरिया ने अपनी पारंपरिक आदिवासी संस्कृति और कला को प्रभावशाली ढंग से प्रदर्शित किया और "बेस्ट प्रेजेंटेशन ऑफ ट्राइब कल्चर" का प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता। गीता भूरिया ने इस प्रतियोगिता में झाबुआ जिले की आदिवासी कला, संस्कृति और जीवनशैली को बखूबी प्रस्तुत किया। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने झाबुआ के पारंपरिक वेशभूषा, लोक संगीत और नृत्य का शानदार प्रदर्शन किया, जो वहां के सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। उनके प्रदर्शन ने न केवल जजों बल्कि दर्शकों को भी गहरे प्रभावित किया। गीता ने इस अवसर पर आदिवासी समुदाय के रीति-रिवाज, पारंपरिक शिल्प और समृद्ध संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी दी, जिससे आदिवासी समाज के प्रति जागरूकता और सम्मान बढ़ा।
गीता की इस उपलब्धि ने यह सिद्ध कर दिया है कि पारंपरिक कला और संस्कृति को मंच पर सम्मान मिल सकता है और इससे आदिवासी समाज की एक नई पहचान बन सकती है। गीता भूरिया ने न केवल अपनी कला को प्रदर्शित किया, बल्कि आदिवासी संस्कृति को एक समृद्ध और सम्मानित रूप में प्रस्तुत किया। गीता की इस उपलब्धि पर उन्हें जिलेवासियों, परिजनों और मित्रों द्वारा हार्दिक बधाई दी जा रही है। उनकी इस जीत से यह संदेश जाता है कि आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और समाज में उसकी सही पहचान बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। गीता के इस सफल प्रयास को देखते हुए यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में आदिवासी कला और संस्कृति को और भी व्यापक पहचान मिलेगी। उनके इस पुरस्कार से आदिवासी समुदाय को प्रेरणा मिलेगी कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को गर्व के साथ प्रदर्शित करें और समाज में अपनी विशेष पहचान बनाए रखें।
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