गुजरात मे फैल रहे चांदीपुरा वायरस को लेकर निर्मला भूरिया ने उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला से एडवाईजरी जारी करने का किया अनुरोध
- चांदीपुरा वायरस नागपुर के पास से 15 साल से कम उम्र के बच्चों को करता है तेजी से प्रभावित ।
- लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने पेटलावद में डायलिसीस मशीन एवं जिला चिकित्सालय झाबुआ में एमआरआई मशीन उपलब्ध कराने की मांग को भी स्वीकार किया।
झाबुआ । निकटवर्ती गुजरात राज्य में इन दिनों चान्दीपुरा वायरस का प्रकोप तेजी से बढता हुआ दिखाई दे रहा है । इसे लेकर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला से जिले की स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर वृहद चर्चा के साथ ही मंत्री के संज्ञान में यह बात लाकर अनुरोध किया है कि प्रदेश के झाबुआ जिले से सटे गुजरात राज्य के दाहोद, लिमखेड़ा और छोटा उदयपुर में करीब तीन-चार बच्चों की मृत्यु से होने की सूचना है। गुजरात के 21 जिले इस वायरस के प्रकोप से प्रभावित है। यह वाइरस मक्खियों के द्वारा फैल रहा है और यह मक्खियां ज्यादातर डेढ़ फीट तक ऊंचाई तक उड़ सकती है। ज्यादातर इस वायरस का प्रकोप कच्चे घरों में रहने वाले बच्चों एवं पशु जिन घरों में बांधे जा रहे हैं उन परिवारों के बच्चों को प्रभावित कर रहा है। झातव्य है कि चांदीपुरा वायरस नागपुर के पास से 15 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच में पाया है ,इसमें बच्चों के ब्रेन में सूजन आ जाती है और उनका मृत्यु हो जाती है झाबुआ से लगी हुई गुजरात ,राजस्थान की सीमा में वायरस का प्रकोप देखा गया है ।
सुश्री निर्मला भूरिया ने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एवं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र कुमार शुक्ला से मुलाकात की एवम उनसे मध्य प्रदेश से सटे गुजरात एवं राजस्थान के जिलों में वायरस के प्रकोप से बचाव हेतु एडवाइजरी जारी करने एवं स्थानीय अस्पतालों में चिकित्सा के व्यापक प्रबंध करने हेतु निर्देश प्रसारित करने की बात की । इसके साथ ही उन्होने स्वास्थ्य मंत्री से सिविल हॉस्पिटल पेटलावद में किडनी पेशेंट की सुविधा के लिए नवीन डायलिसिस मशीन की मांग के अलावा जिला चिकित्सालय झाबुआ में एमआरआई मशीन की स्थापना की मांग की । सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई चर्चा में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने सुश्री निर्मला भूरिया की मांगों पर गंभीरता से विचार कर एडवाइजरी जारी करने हेतु निर्देश प्रसारित करने के निर्देश मातहत अधिकारियों को दियें साथ ही सिविल हास्पीटल पेटलावद में डायलिसिस मशीन एवं जिला चिकित्सालय झाबुआ में एमआरआई मशीन शीघ्र प्रदान करने हेतु सहमति प्रदान की है।
कबिनेट मंत्री सुश्री भूरिया ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, गुजरात में चांदीपुरा वायरस अर्थात सीएचपीवी के कारण चार वर्षीय एक बच्ची की मौत हो गई और राज्य में इस तरह की पहली मौत की पुष्टि की गई है। बच्ची अरावली जिले के मोटा कंथारिया गांव की रहने वाली थी। उसकी मौत साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में हुई। उसके अलावा, गुजरात में संदिग्ध सीएचपीवी के कारण 14 अन्य रोगियों की भी मौत हो गई, जिसमें अब तक 29 मामले सामने आए हैं।
चांदीपुरा वायरस क्या है?
सुश्री भूरिया ने कहा कि विशेषज्ञो के अनुसार चांदीपुरा वायरस एक अर्बोवायरस है जो रैबडोविरिडे परिवार में वेसिकुलोवायरस जीनस से संबंधित है। यह पहली बार 1965 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव में खोजा गया था और यह फ्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाई, मच्छरों और टिक्स जैसे वैक्टर के माध्यम से फैलता है। यह बुखार का कारण बनता है, जिसमें फ्लू और तीव्र इंसेफेलाइटिस जैसे लक्षण होते हैं, जो मस्तिष्क की सूजन है और इसे घातक माना जाता है। बच्चों को चांदीपुरा वायरस का खतरा अधिक बताया जाता है। हालांकि, यह संक्रामक नहीं है, रिपोर्ट में कहा गया है।
उन्होने इसके लक्षणों के बारे में बताया कि चांदीपुरा वायरस से संक्रमित रोगियों में देखे जाने वाले कुछ सबसे आम लक्षण में मरीज अक्सर गंभीर सिरदर्द की शिकायत करते हैं। अचानक तेज बुखार आना। बार-बार उल्टी आना कभी-कभी, वायरस के कारण कोमा और दुर्लभ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। मरीजों को दौरे या आक्षेप आ सकते हैं।
इनके रोकथाम के निवारक उपायों का मुख्य उद्देश्य सैंडफ्लाई की जनसंख्या को नियंत्रित करना तथा इसके प्रभाव को न्यूनतम करना है। मच्छरों के काटने से बचने के लिए पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।सैंडफ्लाई के काटने के जोखिम को कम करने के लिए कीट विकर्षक का उपयोग करें। अपने आस-पास की जगह को साफ रखें। सुनिश्चित करें कि आपके इलाके में सैंडफ्लाई के प्रजनन के लिए कोई संभावित जगह न हो। मेलाथियान 5 प्रतिशत की डंस्टिंग से इसका संक्रमण रोका जासकता है ।
सुश्री भूरिया के अनुसार अभी तक चांदीपुरा वायरस के लिए कोई विशिष्ट टीका या एंटीवायरल उपचार नहीं है। मृत्यु दर को रोकने के लिए, प्रारंभिक पहचान, अस्पताल में भर्ती और लक्षणात्मक देखभाल महत्वपूर्ण है। गंभीर लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक है। उचित जलयोजन सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है, विशेषकर उन मामलों में जहां उल्टी गंभीर हो। गंभीर न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में, रोगी की श्वसन और न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं के प्रबंधन के लिए गहन देखभाल को अक्सर आवश्यक माना जाता है। बुखार को कम करने के लिए उचित दवा की आवश्यकता होती है। एंटीकॉन्वल्सेन्ट्स यह दौरों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
सुश्री भूरिया ने प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ला से भेंट करके इस संका्रमक एवं गंभीर वायरस को लेकर इस पर राज्य शासन की ओर से एडवाइजरी जारी की जाने का अनुरोध किया ,जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए उन्होने मातहत अधिकारियो को तत्ससंबधित निर्देश जारी कर दिये है । वही सिविल हास्पीटल पेटलावद को डायलिसीस मशीन एवं जिला चिकित्सालय को एमआरआई मशीन स्वीकृत करने पर उनका अंचल की जनता की ओर आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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