सीएम की लाड़ली बहना योजना नहीं दिला पायी झाबुआ में भाजपा को जीत, भीतरघात रहा हार की बड़ी वजह
झाबुआ। जिले की तीनों विधानसभा सीटों के नतीजे कल यानी 3 दिसंबर को आ चुके है। झाबुआ जिले के अगर तीनों विधानसभा सीट की बात करें तो यहां पर शुरुआत में झाबुआ जिले के तीनों विधानसभा सीट पर बीजेपी को बढ़त थी लेकिन बाद में कांग्रेस ने बढ़त बना ली और आखरी में जाकर नतीजा यह हुआ के झाबुआ जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है और एक पर भाजपा अपना कमल खिलाने में कामयाब हुई है. सबसे पहले अगर हम झाबुआ विधानसभा सीट की बात करें जहां से बीजेपी और कांग्रेस के बीच में कड़ी टक्कर मानी जा रही थी और शुरुआत में वह नजर भी आ रहा था शुरुआत के 12 राउंड तक बीजेपी के उम्मीदवार भानु भुरिया आगे चल रहे थे लेकिन 12 राउंड के बाद में कांग्रेस के विक्रांत भूरिया ने बढ़त बनाना शुरू की और धीरे-धीरे हर राउंड में बढ़ती गई और आखिरी राउंड तक आते-आते लीड 15000 की हो गई आखरी में जाकर उन्होंने जीत दर्ज की.
इसके अलावा अगर हम बात करें अन्य प्रत्याशियो की तो आप देखेंगे कि झाबुआ विधानसभा से आठ अलग-अलग उम्मीदवार थे लेकिन वह कोई खास कमाल नहीं दिखा पाए. भानु भुरिया जो बीजेपी उम्मीदवार थे उनको हार का सामना करना पड़ा है कांग्रेस के डॉक्टर विक्रांत भूरिया ने जीत दर्ज की है , करीब 15693 वोटो से यह जीत दर्ज की गई है इसके अलावा अगर हम वोट शेयर भी देखे तो कांग्रेस का वोट शेयर झाबुआ विधानसभा में काफी ज्यादा है जहां कांग्रेस को करीब 49% वोट मिले वहीं बीजेपी को 42% वोट मिले है। विक्रांत भूरिया यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया के बेटे भी हैं और जैसा कि पहले से यह कयास लगाया जा रहा था हमने भी इसके पहले एनालिसिस किया था कि झाबुआ जिले की विधानसभा सीट है उसमें से दो पर कांग्रेस और एक पर भाजपा अपनी कामयाबी हासिल कर सकती हो और नतीजों में भी यही दिखा।
बात करें थांदला के अन्य प्रत्याशियों की तो भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी माजू सिंह डामोर किसी भी उम्मीदवार की जीत और हार को तय करेंगे यह बात भी पूर्व में निकल कर सामने आ चुकी है और साथ ही यह मुकाबला एक तरफा माना जा रहा था लेकिन जैसे जैसे मतदान की तारीख नज़दीक आयी तब मुकाबले काफी बड़ा हो गया था और वह बात चुनाव नतीजे में भी दिखाई दी है क्योंकि यहां से कांग्रेस के वीरसिंह भरिया ने जीत दर्ज की है, वीरसिंह ने थांदला से कुल 105197 वोट हासिल किये है वही भाजपा के कलसिंह भाबर ने 103857 वोट हासिल किये है, थांदला से वीरसिंह भूरिया 1 हजार 340 मतो से विजयी रहे, लेकिन जैसी वह दावे कर रहे थे वैसे जीत यहाँ दर्ज नहीं हुई है. जैसा लोग उम्मीद कर रहे थे कि विक्रांत और वीरसिंह भूरिया एक तरफा कांग्रेस से सीट जीत सकते हैं.
पेटलावद विधानसभा से बीजेपी ने जीत दर्ज की है और जैसा कि यहां पर मुकाबला माना जा रहा था की जो भारतीय आदिवासी पार्टी है और जो आम आदमी पार्टी है उससे कहीं ना कहीं कांग्रेस को वोटो का नुकसान होगा खासकर भारतीय आदिवासी पार्टी से और वही चुनाव नतीजे में भी दिखाई दे रहा है। निर्मला भूरिया ने जीत दर्ज़ की है वही कांग्रेस के वालसिंह मेड़ा को हार का सामना करना पड़ा है करीब 5647 वोटो से निर्मला भूरिया ने जीत दर्ज की है. तीसरे विकल्प के रूप में भारतीय आदिवासी पार्टी के प्रत्याशी इंजीनियर बालूसिंह गामड़ ने 15611 वोट हासिल किये है लेकिन एक्सपर्ट यह मान रहे हैं कि कम से कम इसमें 10000 वोट कांग्रेस के है।
वही चुनावी नतीजों पर भाजपा प्रत्याशी भानु भूरिया ने भाजपा पदाधिकारी एवं नेताओ को स्वार्थ एवं गलत भावना से कार्य करने का चलते चुनाव में नुकसान होना बताया है साथ ही कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया पर उन्होंने कहा की उनकी हमेशा से आदत रही है चुनावी हथकंडे अपना कर जनता को गुमराह करने की और इस बार भी उन्होंने चुनाव के एक दिन पहले रात में खुद कांग्रेस कार्यकर्ताओ द्वारा स्वयं अपनी गाडी पर हमला करवा कर साजिश के तहत इस घटना में भाजपा का हाथ बताया, इस वजह से भी चुनाव नतीजों पर असर पड़ा है।
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