हिन्दी के राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय साहित्यकारों की उपस्थिति में देश की राजधानी दिल्ली में हुआ वरिष्ठ साहित्यकार ‘यश’ के नवें ‘‘सत्य का सामीप्य’’ काव्य संग्रह का लोकार्पण
यशवंत भंडारी को ‘‘शिक्षा भूषण-2022’’ सम्मान से किया गया अलंकृत
झाबुआ। आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले में साहित्य के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा गया, जब यहां के वरिष्ठ साहित्यकार एवं वरिष्ठ समाजेसवी यशवंत भंडारी ‘यश’ की नवम पुस्तक ‘‘सत्य का सामीप्य’’ का लोकर्पण दिल्ली विश्वविद्यालय के सवश्रेष्ठ हंसराज महाविद्यालय के सभाग्रह में देश एवं विदेश के प्रख्यात साहित्यकारों की उपस्थिति में किया गया। उक्त काव्य संग्रह का राष्ट्रीय सम्मान समारोह में गरिमामय लोर्कापण मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बीएल गौड़, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष गिरिशनाथ झा, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के संयुक्त आयुक्त पीयूष शुक्ल, अंर्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डाॅ. राकेश छोकर एवं हिन्दी अकादमी मुंबई के अध्यक्ष डाॅ. प्रमोदकुमार पांडेय आदि ने कर्तल ध्वनि और उल्लास के वातावरण के बीच किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने सरस्वती पूजन की। पश्चात् उपस्थित समस्त साहित्यकारों ने अपना-अपना परिचय दिया। शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के सहायक संचालक डाॅ. दीपककुमार पांडे ने स्वागत भाषण देते हुए समारोह की रूपरेखा प्रस्तुत की। अगले क्रम में भव्य समारोह के संचालक डाॅ. वियजकुमार मिश्र ने देश एवं विदेश से आए ख्यातनाम साहित्यकारों को ‘‘राष्ट्रीय सम्मान पुरस्कार’’ के लिए आमंत्रित किया। जिसमें मप्र के झाबुआ जिले से वरिष्ठ साहित्यकार यशवंत भंडारी ‘यश’ के साथ श्रीमती जया वर्मा नानंटिघम इंग्लैंड, श्रीमती रेखा राजवंशी सिडनी आस्ट्रेलिया, डाॅ. अनिता कपूर केलोफोर्निया अमेरिका, सुरेशचन्द्र शुक्ला नार्वे, इंद्रजीत शर्मा न्यूर्याक के साथ प्रो. रमा, जयप्रकाश पांडे, डाॅ. नूतन पांडे, प्रो. संजय द्विवेदी, प्रो. सत्यकेतु सांस्कृत, भावना अरोड़ा एवं श्रीमती मेघना गांधी दिल्ली, मीना अरोड़ा उत्तराखंड, श्रीमती हेमलता शर्मा इंदौर मप्र तथा राकेश छोंकर सरहानपुर उत्तप्रदेश को राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया।
‘‘सत्य के सामीप्य’’ का हुआ गरिमामय विमोचन
राष्ट्रीय सम्मान समारोह-2022 में ख्यातनाम साहित्यिक हस्तीयों के सम्मान बाद मप्र के झाबुआ के वरिष्ठ साहित्यकार यशवंत भंडारी ‘यश’ की नौवी पुस्तक ‘‘सत्य का सामीप्य’’ का उपस्थित अतिथियों एवं प्रख्यात साहित्यकारों ने मिलकर कर्तल ध्वनि के बीच किया। इस अवसर पर प्रवासी भारतीय साहित्यकारों द्वारा ‘‘प्रयासी पंछी’’ काव्य संग्रह का भी विमोचन हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए यश ने बताया कि उनके जीवन का यह एक अनुपम और अभूतपर्वू अवसर है, जिसमें भारत सहित कई देशो के प्रख्यात साहित्यकारों की गरिमामय मौजूदगी में ‘‘सत्य का सामीप्य’’ का लोकार्पण हुआ है। सत्य सदैव अपराजित था, है और रहेगा। आज भी सत्यवादी राजा हरिशचन्द्र एवं धर्मराज युद्धिष्ठीर को उनकी सत्यप्रियता के कारण आज भी प्रासंगिक है।
काव्य संग्रह की प्रत्येक रचना ह्रदय को छूने वाली
आपने आगे बताया कि वर्तमान युग में पूर्णतः सत्य बोलना संभव नहीं है, फिर भी सत्य के समीप रहकर हम अपने जीवन को सफल बना सकते है। इस काव्य संग्रह में मैने अपने जीवन के अनुभव एवं घटनाओं को लेकर कई कविताएं, गीत, नजमे आदि का समावेश किया है। जिसका पठन करने वाले पाठक के अंतकरण को स्पर्ष करेगी।
गौरवमयी उपलब्धि पर शुभकमनाएं दी गई
लोकार्पण बाद अतिथियों ने उक्त श्रेष्ठ पुस्तक की सराहना करते हुए लेखक श्री भडारी को बधाई प्रेषित की। अंत में आभार कार्यक्रम के सूत्रधार एवं हिन्दी अकादमी मुंबई के संस्थापक डाॅ. प्रमोदकुमार पांडेय ने माना। वरिष्ठ साहित्यकार यश को शिक्षा भूषण अवार्ड-2002 से अलंकृत होने एवं नवम पुस्तक के लोकार्पण की उपलब्धि हेतु जिले के समस्त साहित्यकारों, समाजसेवियों, सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं, विभिन्न समाज प्रमुखों, पाठकों आदि ने शुभकमनाएं प्रेषित करते हुए हर्ष व्यक्त किया है।
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