गायत्री शक्तिपीठ पर श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया बसन्तोत्सव 9 कुण्डीय महायज्ञ में श्रद्धालुओं ने अर्पित की आहूतियां

बसंत पंचमी पर इसके साथ ही 21 श्रद्धालुओं ने दीक्षा संस्कारप्राप्त किया वही 15 बच्चों को विद्यारंभ संस्कार एवं लोगों के जन्म दिन संस्कार भी किये गये.
झाबुआ । बसंत पंचमी के पावन अवसर पर कालेज मार्ग स्थित गायत्री शक्तिपीठ पर तीन दिवसीय बसंत पंचमी उत्सव के अन्तिम दिन नौ कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन गायत्री परिवार द्वारा किया गया । प्रातःकाल से ही गायत्री मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा । गायत्री शक्तिपीठ द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 9 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के साथ ही मंदिर में भगवान स्फटीक महादेव की स्थापना का त्रयोदश पाटोत्सव एवं पूज्य गुरूदेव आचार्य श्री रामशर्मा जी का आध्यात्मिक जन्म दिवस भी गायत्री परिवार द्वारा श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया गया । प्रातः 6 बजे से मंदिर मे बिराजित भगवान महांकाल स्फटिक महादेव का मंत्रोच्चार के साथ भव्य अभिषेक पण्डित घनश्याम बैरागी द्वारा करवाया गया। इसके पश्चात मंदिर परिसर में विधि विधान से मंत्रोच्चार के साथ पण्डित घनश्याम बेैरागी द्वारा नवकुण्डीय महायज्ञ आयोजित किया गया । पण्डित घनश्याम बेैरागी ने बसंत पंचमी के महत्व के साथ ही यज्ञ के महत्व को बताते हुए कहा कि यज्ञों की भौतिक और आध्यात्मिक महत्ता असाधारण है। भौतिक या आध्यात्मिक जिस क्षेत्र पर भी दृष्टि डालें उसी में यज्ञ की महत्वपूर्ण उपयोगिता दृष्टिगोचर होती है। वेद में ज्ञान, कर्म, उपासना तीन विषय हैं। कर्म का अभिप्राय-कर्म -काण्ड से है कर्मकाण्ड यज्ञ को कहते हैं। वेदों का है। यों तो सभी वेदमंत्र ऐसे हैं जिनकी शक्ति को प्रस्फुरित करने के लिए उनका उच्चारण करते हुए यज्ञ करने की आवश्यकता होती है। मनुष्य शरीर से निरन्तर निकलती रहने वाली गंदगी के कारण जो वायु मण्डल दूषित होता रहता है, उसकी शुद्धि यज्ञ की सुगन्ध से होती है। हम मनुष्य शरीर धारण करके जितना दुर्गन्ध पैदा करते हैं उतनी ही सुगन्ध भी पैदा करें तो सार्वजनिक वायुतत्त्व को दूषित करने के अपराध से छुटकारा प्राप्त करते हैं।         उन्होने कहा कि यज्ञ द्वारा विश्वव्यापी पंच तत्वों की, तन्मात्राओं की, तथा दिव्य शक्तियों की परिपुष्टि होती हैं। इसके क्षीण हो जाने पर दुखदायी असुरता संसार में बढ़ जाती है और मनुष्यों को नाना प्रकार के आस सहने पड़ते हैं। देवताओं काकृसूक्ष्म जगत के उपयोगी देवतत्वों का भोजन यज्ञ है। जब उन्हें अपना आहार समुचित मात्रा में मिलता रहता है तो वे परिपुष्ट रहते हैं और असुरता को, दुख दारिद्र को दबाये रहते हैं। इस रहस्यमय तथ्य को गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं श्रीमुख से उद्घाटन किया है। आचार्य श्रीराम शर्मा का आज ही के दिन आध्यात्मिक जन्म दिवस भी हम मनाते है । यज्ञ से कुबुद्धि, कुविचार, दुर्गुण एवं दुष्कर्मों से युक्त व्यक्तियों की भी मनोभूमि में यज्ञ से भारी सुधार होता है। इसलिए यज्ञ को पाप नाशक कहा गया है। यज्ञीय प्रभाव से सुसंस्कृत हुई विवेकपूर्ण मनोभूमि का प्रतिफल जीवन के प्रत्येक क्षण को स्वर्गीय आनन्द से भर देता है, इसलिए यज्ञ को स्वर्ग देने वाला कहा गया है। गायत्री शक्तिपीठ की श्रीमती नलीनी बेैरागी ने बताया कि सामूहिक आहूतिया देने के लिये करीब 2000 से अधिक लोगों ने बारी बारी से भाग लिया । नवकुण्डी महायज्ञ में सभी श्रद्धालुओं ने आहूतिया अर्पित की । इस अवसर पर गायत्री महायज्ञ के दौरान 25 से अधिक महिलाओं का गर्भाेत्सव संस्कार नलीनी बैरागी द्वारा करवाया गया । मुख्य यजमान विक्रम एवं आंकांक्षा अरोडा ने गायत्री माता की पूजा की । बसंत पंचमी पर इसके साथ ही 21 श्रद्धालुओं ने दीक्षा संस्कारप्राप्त किया वही 15 बच्चों को विद्यारंभ संस्कार एवं लोगों के जन्म दिन संस्कार भी किये गये । दोपहर में 2 बजे 9 कुण्डीय महायज्ञ की पूर्णाहूति के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया । उक्त आयोजन को सफल बनाने में गायत्री परिवार की समस्त महिला मंडल एवं प्रज्ञापुत्रों का सराहनीय योगदान प्राप्त हुआ ।


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