आजाद की पूण्यतिथि पर माल्यार्पण कर किया स्मरण
आजाद ने कहा था दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे..आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे- सांसद गुमानसिंह डामोर
झाबुआ । भारत के इतिहास में आज का दिन स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है,
भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महान
क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज पुण्यतिथि है। 27 फरवरी 1931 को
इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अंग्रेजों से लड़ते हुए वह शहीद हो गए थे।
आज भी अंग्रेज आजाद का नाम बहुत सम्मान से लिया करते हैं। चंद्रशेखर आजाद
ने कसम खाई थी कि चाहें कुछ भी हो जाए लेकिन वह जिंदा अंग्रेजों के हाथ
नहीं आएंगे। इसलिए जब 27 फरवरी 1931 को अंग्रेजों ने इलाहाबाद के
अल्फ्रेड पार्क में उन्हें चारों तरफ से घेर लिया था तो उन्होंने अकेले
ही ब्रिटिश सैनिकों से मुकाबला किया। जब उनकी रिवाल्वर में आखिरी गोली
बची तो उन्होंने खुद पर ही गोली चला दी, जिससे वह जिंदा न पकड़े जाएं।
आजाद को डर था कि अगर वह जिंदा पकड़े गए तो अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से
मिटाने का उनका सपना अधूरा रह जाएगा। दरअसल आजाद अल्फ्रेड पार्क में भगत
सिंह को जेल से निकालने समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने साथियों के
साथ बैठक कर रहे थे लेकिन तभी उन्हें खबर लगी कि अंग्रेजों ने पार्क को
चारों तरफ से घेर लिया है।
आजाद ने अंग्रेजों से अकेले ही मुकाबला करते
हुए अपने साथियों को पार्क से बाहर निकाल दिया, जिससे भारत की आजादी के
लिए बनाई उनकी योजनाओं पर कोई प्रभाव न पड़े। जब उनकी रिवाल्वर में आखिरी
गोली बची तो उन्होंने अंग्रेजों के हाथ आने की बजाय खुद के जीवन को खत्म
करना चुना और उस आखिरी गोली से अपना जीवन खत्म कर दिया। उक्त विचार अमर
शहीद चन्द्रशेखर आजाद की 89 वीे पूण्य तिथि पर रतलाम झाबुआ आलीराजपुर के
सांसद गुमानसिंह डामोर ने आजाद चैक पर अमर शहीद आजाद की प्रतिमा पर
माल्यार्पण के अवसर पर उपस्थित गणमान्यजनों को संबोधित करते हुए व्यक्त
किये ।
श्री डामोर ने आजाद के जीवन वृत पर संबोधित करते हुए कहा कि चंद्रशेखर
आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भाबरा गांव जिसे अब आजाद
नगर कहा जाता है, में हुआ था। उनका पूरा नाम चंद्रशेखर तिवारी था । 1922
में आजाद की मुलाकात राम प्रसाद बिस्मिल से हुई जिसके बाद उनका जीवन ही
बदल गया और उन्होंने देश को अंग्रजों से आजाद करवाने की कसम खाई। उनके
नाम से अंग्रेजी हुकूमत थर-थर कांपा करती थी। ब्रिटिश सरकार ने एक बार
उन्हें बचपन में 15 कोड़ों की सजा दी थी, तब आजाद ने कसम खाई थी कि वह
दोबारा पुलिस के हाथ कभी नहीं आएंगे। वह अक्सर गुनगुनाया करते
थे...दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे..आजाद ही रहे हैं, आजाद ही
रहेंगे। काकोरी कांड में भी जब सभी क्रांतिकारी पकड़े गए थे, तब भी
चंद्रशेखर आजाद को कोई नहीं पकड़ सका था ।
इस अवसर पर जिला भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने विचार व्यक्त करते
हुए कहा कि आजादी पाने के लिए हद तक जाना और बेखौफ अंदाज दिखाना, इन
दोनों ही बातों से चंद्रशेखर आजाद आज अमर हैं. । गांधीजी द्वारा असहयोग
आंदोलन को अचानक बंद कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे
क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के
सक्रिय सदस्य बन गए । चंद्रशेखर सिर्फ 14 साल की उम्र में 1921 में गांधी
जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे और तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और
जब जज ने उनसे उनके पिता नाम पूछा तो जवाब में चंद्रशेखर ने अपना नाम
आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया. यहीं से चंद्रशेखर
सीताराम तिवारी का नाम चंद्रशेखर आजाद पड़ा। एक बार इलाहाबाद में पुलिस
ने उन्हें घेर लिया और गोलियां दागनी शुरू कर दी। दोनों ओर से गोलीबारी
हुई. चंद्रशेखर आजाद ने अपने जीवन में ये कसम खा रखी था कि वो कभी भी
जिंदा पुलिस के हाथ नहीं आएंगे. इसलिए उन्होंने खुद को गोली मार ली। जिस
पार्क में उनका निधन हुआ था आजादी के बाद इलाहाबाद के उस पार्क का नाम
बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया ।
आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी
इलाके में बीता इसलिए बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण
चलाए. इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी।
आजाद की पूण्यतिथि पर सभी नागरिकों ने आजाद प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं
पुष्पाजंलि अर्पित करके उन्हे अन्तर्हदय से श्रद्धाजंलि अर्पित कर उनके
बताये मार्गो पर चलने का संकल्प लिया । आजाद की पूण्यतिथि के अवसर पर
सांसद गुमानसिंह डामोर के अलावा जिला भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा,
राजेन्द्र सोनी,अजय पोरवाल, कीर्ति भावसार ,पण्डित महेन्द्र तिवारी, बबलु
सकलेचा, अंकुर पाठक, पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल, नरेन्द्र जैन, दीपक
माहेश्वरी, अजय सोनी, नरेन्द्र राठोरिया, नाना राठौर, राजा ठाकुर, प्रमोद
कोठारी,रमेश कटारिया, राजू थापा, अमरू, निर्मला अजनार,गुड्डी, मांगीलाल,
विजय चैहान, सुरभान हटिला के अलावा, गणमान्य जनों में पूर्व विधायक
जेवियर मेडा,नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती मन्नु डोडियार, हेमचंद
डामोर,कांग्रेस प्रवक्ता हर्ष भट्ट, पार्षद साबिर फिटवेल, रिंकू
रूनवाल,गणेश उपाध्याय, डा.केके त्रिवेदी,लोकेन्द्रसिंह चैहान, गोपाल
शर्मा, सहित बडी संख्या में गणमान्यजनों ने भी आजाद की प्रतिमा पर
माल्यार्पण कर उन्हे स्मरण किया ।
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