7 मई को जैन तीर्थ देवझिरी में होगा प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का अंजनशलाका कार्यक्रम
पूज्य आचार्य सुयशचन्द्रसूरिजी के मार्गदर्शन में देवझिरी जैन तीर्थ के ट्रस्ट की बैठक में सर्वानुमति से यह निर्णय लिया गया है कि आगामी 7 मई गुरूवार लब्धि पूर्णिमा के पावन अवसर पर देवझिरी जेैन तीर्थ पर प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान की अंजन शलाका अर्थात प्राण प्रतिष्ठाका भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा।
झाबुआ । आगामी 7 मई गुरूवार को वैशाखसुदी पूर्णिमा के अवसर पर देवझिरी जैन तीर्थ में आयोजित होने वाले अंजनशलाका कार्यक्रम को लेकर देवझिरी में पूज्य आचार्य श्री सुयशचन्द्रसूरिजी मसा का मंगलवार को एक दिवसीय आगमन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित समाजजनों को संबोधित करते हुए पूज्य आचार्य श्री सुयशचन्द्रसूरिश्वरजी मसा ने कहा कि मनुष्य जीवन एक अमूल्य रत्न है, इसको सुखद बनाने के लिये सभी प्रकार की व्यवस्थायें अनुकुल होना आवश्यक है । भौतिक जीवन को आध्यात्मिक जीवन के साथ सामंजस्य बना कर ही जीवन को सुखद बनाया जासकता हैै । क्योकि मनुष्य की भूख दो प्रकार की होती है पहली शारीरिक भूख एवं दुसरी मानसिक भूख । शारीरिक भूख की पूर्ति भौतिक पदार्थो से होती है जबकि मानसिक भूख के लिये किसी अधिशक्ति याने आध्यात्मिकता से जुड कर ही किया जा सकता है।
उन्होने भगवान महावीर के 10 संदेश को प्रत्येक व्यक्ति को अंगीकार करने का आव्हान करते हुए कहा कि महावीर स्वामी अहिंसा के प्रतीक थे। उन्होंने जियो और जीने दो के संदेश को अपनाया। महावीर का कहना है कि अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है अतः हमें जियो और जीने दो के संदेश पर कायम रहना चाहिए। प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता। शांति और आत्मनियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है। हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है। घृणा से मनुष्य का विनाश होता है। सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का भाव ही अहिंसा है। सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से ही दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधारकर प्रसन्न हो सकते हैं। महावीर कहते हैं कि खुद पर विजय प्राप्त करना, लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है। आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु अपने भीतर रहते हैं। वे शत्रु हैं- लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड और आसक्ति और नफरत। आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है। महावीर हमें स्वयं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं। वे कहते हैं- स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
पूज्य आचार्य सुयशचन्द्रसूरिजी के मार्गदर्शन में देवझिरी जैन तीर्थ के ट्रस्ट की बैठक में सर्वानुमति से यह निर्णय लिया गया है कि आगामी 7 मई गुरूवार लब्धि पूर्णिमा के पावन अवसर पर देवझिरी जेैन तीर्थ पर प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ भगवान की अंजन शलाका अर्थात प्राण प्रतिष्ठाका भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा। इसके लिये व्यापक तेैयारिया प्रारंभ की जा रही है। इस अवसर ट्रस्टीगण निर्मल मेहता, नयनेशभाई शाह दाहोद, सचिन कटारिया इन्दौर, बाबुलाल कोठारी झाबुआ, ललीत सखलेचा रानापुर, नीतिन कोठारी झाबुआ , मनोहर भंडारी, प्रकार कटारिया, रिंकू रूनवाल, अनील जैन, राकेश मेहता आदि समाजजनो द्वारा प्राण प्रतिष्ठा के महुर्त आदि पर चर्चा कर कार्यक्रमों को अन्तिम रूप दिया गया ।
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