प्रदेश स्तरीय काव्य स्पर्धा में झाबुआ की भूमिका डोसी ने मारी बाजी

इन्दौर की दास्तांन संस्था द्वारा ऐसी प्रतिभाओं के लिये इन्दौर में प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन इसी माह में किया था जिसमें बडी संख्या में युवक-युवतियों ने भाग लिया ।


शून्य से शिखर तक- प्रस्तुत कर भूमिका ने प्रथम स्थान प्राप्त कर झाबुआ का नाम किया रोशन

झाबुआ। प्रतिभायें स्वयं प्रस्फुटित होती है, और अपनी काबिलियत के बल पर अपने परिवार, शहर, स्कूल का नाम रोशन करती है । चाहे वह अपने  शहर में प्रतिभा के कारण छिपी रही हो किन्तु जब उसे मौका मिलता है तो वह शहर का नाम रोशन करने मे पीछे नही रहती है। ठीक यही बात स्थानीय उत्कृष्ठ स्कूल में अध्ययन कर चुकी तथा वर्तमान मे गुजराती कालेज इन्दौर में बी.काम आनर्स में अध्ययनरत तथा चार्टर अकाउंटेंसी का अध्ययन करने वाली झाबुआ के लक्ष्मी नगर के आशीष डोसी की  20 वर्षीय पुत्री कुमारी भूमिका डोसी ने कर दिखाया है। भूमिका ने स्थानीय उत्कृष्ठ स्कूल में भी होने वाले विभिन्न साहित्यीक कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा को दिखाया था । बारहवी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भूमिका डोसी ने इन्दौर में उच्च अध्ययन के लिये प्रवेश लिया । और वहां भी झाबुआ की बेटी ने अपनी साहित्य प्रतिभा दिखा कर यह साबित कर दिया कि उनका नैसर्गिक गुण उन्हे आगे बढने से नही रोक सकता है। इन्दौर की दास्तांन संस्था द्वारा ऐसी प्रतिभाओं के लिये इन्दौर में प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन इसी माह में किया था जिसमें बडी संख्या में युवक-युवतियों ने भाग लिया ।  
        झाबुआ की बेटी प्रतिभा डोसी ने भी इस प्रतियोगिता में  भाग लिया और मंच से जब अपनी मौलिक रचना  ’’ शून्य से शिखर तक ’’ प्रस्तुत की, जिसमें उन्होने अपनी रचना में प्रस्तुत किया अंशं ’’मुश्किलों को जीत ले, एक नयी उड़ान भर । विष में घोल करके तू, अमृतों का पान कर ,मंजिलों को भांप ले, ना बन तू कोई पर्यटक ,के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक । दूसरों से हार भी, क्या सच में कोई हार है? जीत ले खुदी से तू, दिन जिंदगी के चार हैं. लक्ष्य को तू साध ले, ना तृप्तियों पे तू अटक । के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक । आस की तू लौ जला, विषम को पक्ष में तू कर । मिटा दे तू ये तम घना, स्वप्न तू साकार कर । पथ को आज माप ले, ना रास्ते से तू भटक । के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक। नाम काम आएगा, प्यास तू जगाए रख । धैर्य की परिक्षा है, पर ना शौर्य से भटक। जीत लेगा दुनिया तू, ना बुझने दे तू ये ललक । के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक। को सुनने के बाद पूरे आडिटोरियम में तालियों से इस रचना का स्वागत किया गया । निर्णायकों नें भी प्रदेश स्तरीय इस स्पर्धा में कुमारी भूमिका डोसी को प्रथम स्थान देकर उनको पुरस्कृत किया । भूमिका डोसी की इस उपलब्धि से झाबुआ शहर का नाम इन्दौर जैेसे महानगर में रोशन हुआ ।        कुमारी भूमिका की इस उपलब्धि पर इतिहासविद डा. केके त्रिवेदी, डा. रामशंकर चंचल, श्रीमती भारती सोनी, भेरूसिंह चौहान, गणेश उपाध्याय, पीडी रायपुरिया,वीरेन्द्र मोदी आदि ने इस साहित्य साधिका को बधाई देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की । वही दिगंबर जैन समाज सहित नगर के गणमान्यजनों ने भी कुमारी भूमिका की इस उपलब्धि पर बधाईया दी है ।
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शून्य से शिखर तक- प्रस्तुत कर भूमिका ने प्रथम स्थान प्राप्त कर झाबुआ का नाम किया रोशन

झाबुआ। प्रतिभायें स्वयं प्रस्फुटित होती है, और अपनी काबिलियत के बल पर अपने परिवार, शहर, स्कूल का नाम रोशन करती है । चाहे वह अपने  शहर में प्रतिभा के कारण छिपी रही हो किन्तु जब उसे मौका मिलता है तो वह शहर का नाम रोशन करने मे पीछे नही रहती है। ठीक यही बात स्थानीय उत्कृष्ठ स्कूल में अध्ययन कर चुकी तथा वर्तमान मे गुजराती कालेज इन्दौर में बी.काम आनर्स में अध्ययनरत तथा चार्टर अकाउंटेंसी का अध्ययन करने वाली झाबुआ के लक्ष्मी नगर के आशीष डोसी की  20 वर्षीय पुत्री कुमारी भूमिका डोसी ने कर दिखाया है। भूमिका ने स्थानीय उत्कृष्ठ स्कूल में भी होने वाले विभिन्न साहित्यीक कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा को दिखाया था । बारहवी कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भूमिका डोसी ने इन्दौर में उच्च अध्ययन के लिये प्रवेश लिया । और वहां भी झाबुआ की बेटी ने अपनी साहित्य प्रतिभा दिखा कर यह साबित कर दिया कि उनका नैसर्गिक गुण उन्हे आगे बढने से नही रोक सकता है। इन्दौर की दास्तांन संस्था द्वारा ऐसी प्रतिभाओं के लिये इन्दौर में प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन इसी माह में किया था जिसमें बडी संख्या में युवक-युवतियों ने भाग लिया ।  
        झाबुआ की बेटी प्रतिभा डोसी ने भी इस प्रतियोगिता में  भाग लिया और मंच से जब अपनी मौलिक रचना  ’’ शून्य से शिखर तक ’’ प्रस्तुत की, जिसमें उन्होने अपनी रचना में प्रस्तुत किया अंशं ’’मुश्किलों को जीत ले, एक नयी उड़ान भर । विष में घोल करके तू, अमृतों का पान कर ,मंजिलों को भांप ले, ना बन तू कोई पर्यटक ,के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक । दूसरों से हार भी, क्या सच में कोई हार है? जीत ले खुदी से तू, दिन जिंदगी के चार हैं. लक्ष्य को तू साध ले, ना तृप्तियों पे तू अटक । के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक । आस की तू लौ जला, विषम को पक्ष में तू कर । मिटा दे तू ये तम घना, स्वप्न तू साकार कर । पथ को आज माप ले, ना रास्ते से तू भटक । के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक। नाम काम आएगा, प्यास तू जगाए रख । धैर्य की परिक्षा है, पर ना शौर्य से भटक। जीत लेगा दुनिया तू, ना बुझने दे तू ये ललक । के आज तेरी यात्रा है, शून्य से शिखर तलक। को सुनने के बाद पूरे आडिटोरियम में तालियों से इस रचना का स्वागत किया गया । निर्णायकों नें भी प्रदेश स्तरीय इस स्पर्धा में कुमारी भूमिका डोसी को प्रथम स्थान देकर उनको पुरस्कृत किया । भूमिका डोसी की इस उपलब्धि से झाबुआ शहर का नाम इन्दौर जैेसे महानगर में रोशन हुआ ।        कुमारी भूमिका की इस उपलब्धि पर इतिहासविद डा. केके त्रिवेदी, डा. रामशंकर चंचल, श्रीमती भारती सोनी, भेरूसिंह चौहान, गणेश उपाध्याय, पीडी रायपुरिया,वीरेन्द्र मोदी आदि ने इस साहित्य साधिका को बधाई देते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की । वही दिगंबर जैन समाज सहित नगर के गणमान्यजनों ने भी कुमारी भूमिका की इस उपलब्धि पर बधाईया दी है ।
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