झाबुआ उपचुनाव: प्रत्याशी को लेकर बीजेपी- कांग्रेस में घमासान
कमलनाथ सरकार हर हाल में झाबुआ सीट पर कब्जा करना चाहती है, लेकिन उसके लिए अपने ही नेता परेशानी का कारण बन रहे हैं. आज जोबट विधायक कलावती भूरिया के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता दिग्विजय सिंह के घर पहुंचे और उन्होंने कांतिलाल भूरिया को टिकट देने की मांग की.
विधायक कलावती भूरिया ने दिग्विजय सिंह के घर डाला डेरा
झाबुआ। विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान होते ही जिले में चुनावी सरगर्मिया तेज़ हो गयी है. झाबुआ सीट जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। एक तरफ भाजपा अपनी पूरी ताकत झोंक रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश की कमलनाथ सरकार भी इस सीट को हर हाल में जीतना चाहती है. लेकिन कांग्रेस के लिए अपने ही नेता परेशानी का कारण बन रहे हैं. आज झाबुआ के जोबट विधानसभा से विधायक कलावती भूरिया के नेतृत्व में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता दिग्विजय सिंह के घर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कांतिलाल भूरिया को टिकट दिए जाने की मांग की है. विधायक कलावती भूरिया ने झाबुआ सीट पर उम्मीदवार को लेकर कहा कि जो 40 साल से क्षेत्र में सक्रिय है उसे टिकट दिया जाना चाहिए.
झाबुआ सीट पर कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया को उम्मीदवार बनाने का दबाव कांग्रेस पर बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ जेवियर मेड़ा भी अपना दम दिखा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक विधानसभा चुनाव के दौरान बागी तेवर अपनाने वाले जेवियर मेड़ा को कमलनाथ ने आश्वासन दिया था कि उन्हें विधानसभा उपचुनाव में मौका दिया जाएगा.
नाम वापसी की अंतिम तारीख है 3 अक्टूबर
सोमवार यानी 23 सितंबर से नामांकन भरने का सिलसिला शुरू हो गया है, जो कि 30 सितंबर तक चलेगा. जबकि नाम वापसी की अंतिम तारीख 3 अक्टूबर है. हालांकि अब तक भाजपा और कांग्रेस अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पायी है, लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल कांग्रेस के सामने हैं. इस सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया और विधानसभा चुनाव में बागी रहे जेवियर मेड़ा की दावेदारी से मामला उलझ गया है.
झाबुआ विधानसभा सीट पर कुल 2 लाख 76 हजार 982 वोटर
हैं। जिनमें 1 लाख 39 हजार 97 पुरुष वोटर तो 1 लाख 37 हजार 882 महिला
वोटर शामिल हैं। झाबुआ
विधानसभा सीट का पिछला इतिहास देखा जाए तो यहां शुरुआत में कांग्रेस का दबदबा था. लेकिन वक्त के साथ यहां बीजेपी की जड़े मजबूत हुईं हैं. 2013 में जेवियर मेडा को टिकट मिलने पर बागी के रूप में कलावती भूरिया ने खड़े होकर जेवियर को हराया, वही 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जेवियर मेडा की जगह कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को चुनावी मैदान में उतारा लेकिन जेवियर बगावत करते हुए निर्दलीय मैदान में उतर गए. जिसका सीधा फायदा बीजेपी के जीएस डामोर को मिला और उन्होंने विक्रांत भूरिया को 10 हजार वोटों से हराया.
पिछले दो चुनाव में कांग्रेस की अंतरकलह ही बीजेपी के लिए वरदान साबित हुई। इस बार भी कांग्रेस की तरफ से विक्रांत और जेवियर मेड़ा के साथ-साथ कांतिलाल भूरिया भी कांग्रेस की तरफ से टिकट की रेस में है। ऐसे में भूरिया और मेड़ा के बीच के इस विवाद को सुलझाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी। बात अगर बीजेपी की करें तो यहां बीजेपी किस पर दांव लगाती है. इसका अभी तक कोई अंदाजा नहीं है. लेकिन बीजेपी भी यहां दमदार प्रत्याशी उतारने की जुगत में है. क्योंकि बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करेगी।
पिछले दो चुनाव में कांग्रेस की अंतरकलह ही बीजेपी के लिए वरदान साबित हुई। इस बार भी कांग्रेस की तरफ से विक्रांत और जेवियर मेड़ा के साथ-साथ कांतिलाल भूरिया भी कांग्रेस की तरफ से टिकट की रेस में है। ऐसे में भूरिया और मेड़ा के बीच के इस विवाद को सुलझाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी। बात अगर बीजेपी की करें तो यहां बीजेपी किस पर दांव लगाती है. इसका अभी तक कोई अंदाजा नहीं है. लेकिन बीजेपी भी यहां दमदार प्रत्याशी उतारने की जुगत में है. क्योंकि बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को बरकरार रखने की पुरजोर कोशिश करेगी।
भाजपा संभावित प्रत्याशी |
कांग्रेस संभावित प्रत्याशी |
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