पवित्रा एकादशी को गोवर्धननाथजी के हिण्डोला दर्शन के लिये उमडी श्रद्धालुओं की भीड
पवित्रा एकादशी के दिन ठाकुरजी ने ब्रह्म संबंध का सन्देश दामोदरदासजी हरदानी को दिया था इसलिये पवित्रा एकादशी के दूसरे दिन द्वादशी का दिवस गुरू को समर्पित होता है ।
पुष्टिमार्ग के प्राकट्योत्सव के रूप मे मनाई परित्रा एकादशी
नित नये मनोरथ के हिण्डोला दर्शन का मिल रहा लाभ
झाबुआ । श्रावण माह में भगवान श्री गोवर्धननाथजी को नित नये कलेवर में गोवर्धननाथजी की हवेली में सायंकाल हिण्डोले पर झुलाने का क्रम चल रहा है । रविवार को पवित्रा एकादशी के पावन दिन को भगवान श्री गोवर्धननाथजी के बाल स्वरूप को पवित्रा के रेशमी धागो से बने हिण्डोले में झुलाया गया । भगवान गोवर्धननाथजी की इस अनुपम हिण्डोला दर्शन के लिये सैकडो की संख्या में महिला एवं पुरूष दर्शनार्थियों ने भगवान के हिण्डोला दर्शन का लाभ उठाया ।
‘‘पवित्रा परहत राजकुमार तीन्यों लोक पवित्र किये है श्री विट्ठल गिरिधार ।
अतिही पवित्र प्रिया बहु बिलकत निरख मगन भयो मार ।
परमानन्द पवित्र की माला गोकूल की नीज नार ।’’
जैेसे पुष्टिमार्गीय संगीत मय कीर्तन के साथ सभी श्रद्धालुजन भगवान को नतमस्तक हो रहे थे । पवित्रा एकादशी के बारे में जानकारी देते हुए गोस्वामी श्री दिव्येशकुमारजी महाराज ने पवित्रा एकादशी के माहत्म्य को बताते हुए कहा कि पवित्रा एकादशी पुष्टिमार्ग का प्राकट्य दिवस माना जाता है । इस एकादशी की मध्यरात्री को साक्षात भगवान श्रीनाथजी ने प्रकट होकर पूज्य श्री वल्लभाचार्यजी से ब्रह्म संबंध स्थापित कर महामंत्र एवं जगतकल्याण का सन्देश दिया था । इस मंत्र के द्वारा भक्त को भगवत सेवा का अधिकार प्राप्त हो जाता है । पवित्रा एकादशी को 307 केशरिया रंग के तार अर्पित करके मिश्री का भोग अर्पित किया था तथा मदराष्टक स्त्रोत से भगवान श्रीनाथजी के हर अंग का वर्णन किया गया था । पवित्रा एकादशी के दिन ठाकुरजी ने ब्रह्म संबंध का सन्देश दामोदरदासजी हरदानी को दिया था इसलिये पवित्रा एकादशी के दूसरे दिन द्वादशी का दिवस गुरू को समर्पित होता है । पुष्टिमार्ग में पवित्रा एकादशी का सबसे अधिक महत्व होता है और इस दिन भगवान गोवर्धननाथजी के दर्शन मात्र से ही सर्व मनोकामनायें पूरी होती है तथा आत्मीय शांति प्राप्त होती है। इसी पूरातन परम्परा को अभी तक पुष्टिमार्ग में बनाया रखा है ।
श्री गोवर्धननाथजी की हवेली में भगवान के पवित्रा हिण्डोले में बिराजित होकर झुलने की मनोहारी छबि को निहारने के लिये पूरा मंदिर खचाखच भर गया तथा भगवान के दर्शन एवं एक झलक पाने के लिये श्रद्धालुजनो मे काफी उत्साह दिखाई दिया । मंदिर के मुखिया दिलीप आचार्य द्वारा भगवान के हिण्डोले को होले होले झुला झुलाया गया तथा भगवान को पंखा झला गया । वही पण्डित रमेश त्रिवेदी, गोकूलेश आचार्य एवं कान्हा अरोडा द्वारा संगीत के साथ ’’ पवित्रा पहीरे हिण्डोला झुले, श्यामा श्याम बराबर बैठे निखट ही समजतुले, ललीतादि सब सखी झुलावत ठाडी खंभ अनुकेले जैसे कीर्तन प्रस्तुत करके पूरे वातावरण को भक्तिमय कर दिया । करीब एक घंटे से अधिक समय तक भगवान गोवर्धननाथजी के पवित्रा हिण्डोले के दर्शनलाभ श्रद्धालुओं ने प्राप्त किये । इस अवसर पर फलों की प्रसादी का वितरण भी किया गया ।
पुलिस प्रशासन ने नही लगाई यातायात पुलिस की ड्युटी
श्रावण माह में श्री गोवर्धननाथ जी के मंदिर में प्रति दिन भगवान के हिण्डोला दर्शन का आयोजन हो रहा है । जिसमें सैकडो की संख्या में महिला एवं पुरूष दर्शनार्थी सायंकाल को हिण्डोला दर्शन के लिये मंदिर आते है। श्रावण माह में सायंकाल को यातायात को नियंत्रित करने तथा मंदिर के आसपास अव्यवस्थित पार्किग को लेकर श्रद्धालुजनों ने पुलिस अधीक्षक से मंदिर के बाहर यातायात नियंत्रित करने के लिये पुलिस की ड्युटी लगाये जाने की मांग की थी । मुख्य बाजार में उक्त मंदिर स्थित होने से यहां बार बार जाम वाली स्थिति निर्मित हो जाती है ऐसे में दुर्घटनाओं की संभावनायेंब नी रहती है । हिण्डोला पर्व जन्माष्टमी तक जारी रहता है । ऐसे मे मंदिर समिति के साथ ही यमुना मंडल की महिलाओं ने पुलिस अधीक्षक से अनुरोध किया है कि मंदिर के आसपास दुपहिया एवं चार पहिया वाहनों की व्यवस्थित पार्किग के साथ ही यातायात पुलिस की यहां व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से ड्युटी लगाई जावे ताकि दर्शनार्थियों को परेशान नही होना पडें ।
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