संसार चक्र में काल चक्र और कर्म चक्र है, परन्तु धर्म चक्र का सहारा अत्यंत जरूरी है - आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा
धर्मसभा बाद लाभार्थी परिवारों ने प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा के दर्शन-वंदन भी किए।
अष्ट प्रभावक ने भक्तामर स्त्रोत की पांचवी गाथा का किया वर्णन
झाबुआ। स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास का आयोजन अष्ट प्रभावक परम् पूज्य आचार्य देवेष श्रीमद् विजय नरेन्द्र सूरीष्वरजी मसा ‘नवल’ एवं प्रन्यास प्रवर श्री जिनेन्द्र विजयजी मसा ‘जलज’ की निश्रा में हो रहा है। आचार्य द्वारा प्रतिदिन अपने प्रवचनों में समाजजनों को धर्म के मार्ग पर प्रषस्त करते हुए इन दिनों 44 दिवसीय भक्तामर महातप चलने से भक्तामर स्त्रोत की महिमा का बखान किया जा रहा है। प्रतिदिन प्रवचनांं का सैकड़ों की संख्या में समाज के महिला-पुरूष लाभ ले रहे है।
1 अगस्त, गुरूवार को सुबह 9 बजे से बावन जिनालय के पोषध शाला भवन मे आचार्य देवेश ने प्रवचन देते हुए भक्तामर स्त्रोत की पांचवी गाथा का वर्णन किया। जिसमें आचार्य नरेन्द्र सूरीष्वरजी ने मृत्यु लोक का विशेष बखान किया। पूज्य श्रीजी ने मिग और मिगेन्द्र का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान का आश्रय, आधार और आलंबन संसार से तिराने में सहायक होता है। संसार चक्र में काल चक्र और कर्म चक्र है, परन्तु धर्म चक्र का सहारा बहुत जरूरी है। नरेन्द्र सूरीजी ने ओध संज्ञा, लोक संज्ञा और मूण दषा का वर्णन किया। उन्हांने बताया कि तीस आरे में मल में प्रथम तीर्थंकर का जन्म हुआ, तब से व्यवहार राशि की परंपरा चली।
जीवों के प्रति द्वेष भाव नहीं रखना चाहिए
आचार्य श्रीजी ने दुर्लभ मनुष्य जन्म प्राप्त करने के लिए 10 दुर्लभ दृष्टांत का वर्णन किया एवं कहा कि यह जिन शासन ग्रंथ से निर्ग्रंथ बनने के लिए, संसारी से समभावी बनने के लिए, चित्त को आकर्षित करने के लिए एवं केंद्रीय करने के लिए परम् आलंबन है। आचार्य ने बताया कि जिन वाणी अनुराग, मिथ्यात्व से विपरित दृष्टी जगाती है। हमे जीवां से द्वेष भाव कभी नहीं रखना चाहिए। अंत में आचार्य श्रीजी ने आपके पास क्या है और आप क्या साथ ले जाएंगे, इस पर भी उद्बोधन दिया।
आरएन जैन ने लिया गुरूदेव की आरती और एकासने का लाभ
प्रवचन बाद दादा गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेन्द्र सूरीष्वरजी मसा की आरती एवं पूजन का लाभ आरएन जैन परिवार (नवकार मेचिंग) ने लिया। साथ ही एकासने का भी लाभ लेते हुए दोपहर में सभी तपस्वियों को एकासने जैन परिवार द्वारा करवाए गएं। वहीं आगामी 15 दिनों तक बहुमान के लाभार्थी श्री नवल स्वर्ण जयंती चातुर्मास समिति के वरिष्ठ समाज रत्न सुभाषचन्द्र कोठारी परिवार रहेगा। धर्म सभा का संचालन चातुर्मास समिति के अध्यक्ष कमलेश कोठारी एवं सचिव अशोक रूनवाल ने किया। धर्मसभा बाद लाभार्थी परिवारों ने प्रन्यास प्रवर जिनेन्द्र विजयजी मसा के दर्शन-वंदन भी किए।
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