जिला बाल कल्याण समिति ने कलेक्टर से की सौजन्य भेंट, कार्य करने में आ रहीं कठिनाईयों के संबंध में प्रेषित किया पत्र

अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत कार्यकारी एजेंसी जिला बाल संरक्षण अधिकारी, विशेष पुलिस इकाई चाईल्ड लाईन झाबुआ एवं श्रम पदाधिकारी को अधिकृत किया गया है।
झाबुआ। मप्र शासन द्वारा गठित जिला बाल कल्याण समिति झाबुआ (न्यायपीठ) द्वारा कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी प्रबल सिपाहा से सौजन्य भेंट की गई। इस दौरान न्यायपीठ के सदस्यों ने कलेक्टर को अवगत करवाया कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) 2015 (केंद्रीय) के प्रावधानों के अंतर्गत गठित न्यायपीठ द्वारा जिले में शोषित, निराश्रित एवं देखरेख श्रेणी के बच्चों को वैधानिक संरक्षण का कार्य करती है। इस कार्य में होने वाली कठिनाईयों संबंधी पत्र सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने जिला दंडाधिकारी श्री सिपाहा को प्रेषित किया।
 यह पत्र न्यायपीठ के वरिष्ठ सदस्य यशवंत भंडारी के नेतृत्व में सदस्य गोपालसिंह पंवार, ममता तिवारी एवं चेतना सकलेचा ने कलेक्टर को प्रदान करते हुए बताया कि उक्त विषयांतर्गत कार्रवाई किए जाने हेतु न्यायपीठ को मप्र शासन स्तर से प्राधिकृत किया गया है। इसके तहत अधिनियम की धारा 27(10) के अंतर्गत जिला मजिस्ट्रेट न्यायपीठ का शिकायत निवारण प्राधिकारी है। अधिनियम की धारा 31 के अंतर्गत कार्यकारी एजेंसी जिला बाल संरक्षण अधिकारी, विशेष पुलिस इकाई चाईल्ड लाईन झाबुआ एवं श्रम पदाधिकारी को अधिकृत किया गया है। जिला महिला एवं बाल विकास अंतर्गत आईसीपीएस योजना अंतर्गत समस्त प्रमुख पद वर्षों से रिक्त है, विशेष  पुलिस इकाई अंतर्गत जिले के समस्त थानों पर आवष्यक प्राधिकारी अधिकृत किए गए है, किन्तु इनके द्वारा अध्नियम की मंषानुसार कार्रवाई नहीं की जा रहीं है। श्रम विभाग के पदाधिकारी द्वारा बाल श्रमिक के संबंध में की जाने वाली कार्रवाई संतोषप्रद नहीं रहीं है।
 जिले में बाल श्रमिकों का उपयोग एवं नशीले पदार्थों का किया जा रहा सेवन
उपरोक्तानुसार कार्रवाई के अभाव में जिले में बाल श्रमिकों का उपयोग स्वछंद एवं खुले रूप से किया जा रहा है। साथ ही नशीले पदार्थों के सेवन में बालकों की संलग्नता पाई जा रहीं है। कम उम्र के बच्चों द्वारा भारी वाहनों का स्वतंत्र रूप से परिचालन किया जा रहा है। इन परिस्थितियों में बालकों को वैधानिक संरक्षण, उपचार, पुर्नवास एवं अन्य हेतु कारगर कार्रवाई अपेक्षित है। अधिनियम के प्रावधानों में न्यायपीठ के पदाधिकारियों द्वारा जिले के छात्रावास-आश्रमों, बाल गृहों एवं संस्थानों का सत्त निरीक्षण किया जाना प्रावधानित है, किन्तु तत्संबंध में समुचित व्यवस्था नहीं होने से समिति को निरीक्षण करने मे कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
ध्यान नहीं देने पर न्यायपीठ की अवमानना की कार्रवाई की जाएं
उपरोक्त सबंध में पत्र द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग द्वारा आवष्यक जानकारी हेतु कई बार पत्र प्रेषित किए जा चुके है, किन्तु समिति को जानकारी आज पर्यन्त तक नहीं दी गई है। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का 2) द्वारा न्यायपीठ को महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई है। ऐसी स्थिति में संबंधितों द्वारा समयोचित कार्रवाई नहीं किए जाने पर न्यायपीठ की अवमानना की कार्रवाई करने के संबंध में चर्चा की। पत्र में आदिवासी बाहुल जिले के बच्चों के सर्वोच्च हित हेतु आवष्यक कार्रवाई किए जाने की बात कहीं गई। पत्र बाद न्यायपीठ को समस्त बिंदुओं पर जांच कर कार्रवाई का आष्वासन कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री सिपाहा द्वारा दिया गया। 

जिला बाल कल्याण समिति ने कलेक्टर से की सौजन्य भेंट, कार्य करने में आ रहीं कठिनाईयों के संबंध में प्रेषित किया पत्र

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