विश्व आदिवासी दिवस: मुख्यमंत्री ने लाइव प्रसारण के माध्यम से किया हितग्राहियो को संबोधित
थांदला विधायक कलसिंह भाबर ने भी भीली भाषा में महती सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन युएनओ में आदिवासी वर्ग पर हुए नर संहार शोषण के विरुद्ध जेनेवा में आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय हुआ था । श्री भाबर ने कहा कि हम आदिवासी कौन है, यह जानना जरूरी है हमारे पूर्वक आदिकवि वाल्मिकी, माता शबरी, टंटिया भील एकलव्य, विरसा मुंडा, है। उन्होने समाज को नई दिशा देकर हमारे समाज को गोरवान्वित किया है ।
नई पीढी को शहरी संस्कृति की बजाय अपनी पुरातन संस्कृति का ज्ञान भी आवश्यक - निर्मला भूरिया
झाबुआ । जिला स्तर पर विश्व आदिवासी दिवस महोत्सव का भव्य आयोजन स्थानीय पैलेस गार्डन पर जनजातिय कार्य विभाग झाबुआ द्वारा आयोजित किया गया । आदिवासी संस्कृति, परिवेश एवं आदिवासी कल्याण को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में विधायक शांतिलाल बिलवाल, विधायक निर्मला भूरिया, विधायक कलसिंह भाबर, पूर्व विधायक श्रीमती स्वरूपबाई भाबर, जिला कलेक्टर आशीष सक्सेना, जिला पंचायत सीईओ जमुना भिडे, श्यामा ताहेड, राजू डामोर, बहादूर हटिला, थावरसिंह भूरिया, शैलेन्द्रसिंह सोलंकी, सहायक आयुक्त गणेश भाबर, सहित बडी संख्या में जन प्रतिनिधि, भाजपा नेतागण, हितगा्रही,एवं छात्र छात्राओं के साथ ही आदिवासी वर्ग के लोगों ने बडी संख्या में भाग लिया ।
खचाखच भरे सभागृह में आदिवासी दिवस पर भीली भाषा में संबोधित करते हुए विधायक शांतिलाल बिलवाल ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का आदिवासी दिवस पर प्रदेश के सभी आदिवासी जिलों में सार्वजनिक अवकाश घोशित करने के लिये धन्यवाद देते हुए कहा कि हमारे आदिवासी वर्ग के लोग जो शहरों में रहने लगे है वे अपनी संस्कृति एवं परंपरा को भुल गये है। आदिवासी दिवस स्थापना दिवस होकर जनजाति वर्ग पर हुए अत्याचारों, नर संहार को लेकर जेनेवा में यूएनओ द्वारा इस दिवस को शोक दिवस के रूप में मनाया था । जिसकी जानकारी होना आवश्यक है ।
उन्होने कहा कि आदिवासी वर्ग के कतिपय लोग जो पढ लिख कर अधिकारी या उच्च पदों पर आसीन हो गये है वे अपनी पुरानत संस्कृति को भुल गये है। इन्हे सिर्फ पदोन्नति में आरक्षण तथा स्वयं के हितलाभ के लिये संगठन बना कर आदिवासी समाज का दुरूपयोग करने लगे है । प्रधानमंत्री मोदी एवं शिवराजसिंह चौहान ने आरक्षण को लेकर कोर्ट में भी पैरवी करके आदिवासियों के अधिकारों के लिये अपनी भूमिका निभारहे है। जो अधिकारी बन गये है वे अपनी मूल परंपरा को पूरी तरह भुल गये है जबकि हमारा समाज हमारी संस्कृति परम्परा मुगलकालीन अत्याचारों एवं शोषण के बाद भी बनी हुई है । आदिवासी प्रकृर्ति के पुजारी है श्रम, मेहनत करना, सभी से प्रेम करना, भोले स्वभाव का होकर किसी को भी नुकसान नही पहूंचाता है ।
विधायक ने सभी को आदिवासी दिवस की शुभकामनायें देते हुए जानकारी दी कि भावी पीढी को हमारी मूल संस्कृति, परिवेश, परम्पराओं आदि से रूबरू कराने के लिये झाबुआ में आदिवासी संग्रहालय बनाया जारहा है जिसमें समग्र आदिवासी संस्कृति को देख कर अपनी संस्कृति के प्रति गर्व महसूस कर सकेगे । वही केन्द्र सरकार द्वारा झाबुआ में ही एक कम्यूनिटी हाल का भी निर्माण करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है जिसके लिये भूमि का चयन भी हो चुका है । इसके लिये जनजातिय केन्द्रीय मंत्री जसवंत भाबोर ने अपनी सहमति भी व्यक्त कर दी है ।
पेटलावद विधायक स्रुश्री निर्मला भूरिया ने आदिवासी दिवस की सभी को शुभ कामनायें देते हुए कहा कि हमारे समाज की भावी पीढी आगे बढे और उन्नति करें तथा समाज के नीचले तबके के लोगों को आगे बढाये यही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की मंशा है । प्रदेश की भाजपा सरकार ने आदिवासी जिलों में अवकाश भी घोशित कर दिया है ताकि ह म सब मिल बैठ कर समाज के उत्थान के लिये चर्चा कर सके एवं निष्कर्ष निकाल सकें । उन्होने आगे कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की सरकार ने इस समाज को आगे बढाने के लिये शिक्षा,स्वास्थ्य सहित मूलभुत आवश्यकता को पूरा करने के लिये कई योजनायें बना कर इसे लागू किया है । इन योजनाओं के लागू होने का लाभ उठा कर समाज किस तरह आगे बढे और गा्रम के लोगों में सुधार हो सके इसके लिये हमे सामुहिक प्रयास करना होगें । सरकार ने नये आईटीआई सहित कई रोजगार मूलक संस्थान खोल कर रोजगार के अवसर प्रदान किये है । बच्चों में हमारी संस्कृति के विलुप्त होने के कारण ही जिला स्तर पर संग्रहालय की जरूरत पडी है । इससे आने वाली पीढी जानसकेगी कि हमारे पूर्वज किस रहते रथे तथा संस्कृति, परंपरायें एवं परिवेश कैसा था ।
नई पीढी शहरों में जाकर बस रही है उन्हे अपनी संस्कृति एवं परम्पराओं की जानकारी होना चाहिये । भगोरिया जैसा सांस्कृतिक पर्व पाश्चात्य संस्कृति की चपेट मे आ रहा है। मांदल और थाली की थाप सुनाई नही देती, बासुरी की स्वर लहरिया भी विलुप्त होती जा रही है । इन्हे बचाने के लिये तथा संस्कृति की रक्षा के लिये हमे मनन करना पडेगा । सुश्री भूरिया ने आगे कहा कि स्वर्गीय दिलीपसिंह जी पहली बार सांसद बने थे तब उन्होने हम बच्चों को दिल्ली में स्कूलों मे प्रवेश दिलाया था किन्तु बारहवी के बाद पिताजी ने आदिवासी संस्कृति एवं स्थानीय परिवेश से कहीं हम विमुख नही हो जाये इसके लिये झाबुआ में ही हमे स्कूलों में प्रवेश दिलाया था । उन्होने कहा कि हमारी संस्कृति को हमे सहेज कर रखना है कई लोग आने वाली पीढी को भ्रमित कर रहे है इनसे हमे सावधान रहना चाहिये । ताकि हमारी आने वाली पीढी के भविष्य को खतम करने का जो काम इन तत्वों द्वारा हो रहा है उस पर अंकुश लगा सकें । उन्होने कहा कि आदिवासी प्रकृर्ति का पूजारी है और हमारी संस्कृति एवं परंपराओं की रक्षा करना हमारा नैतिक दायित्व है ।
इस अवसर पर थांदला विधायक कलसिंह भाबर ने भी भीली भाषा में महती सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन युएनओ में आदिवासी वर्ग पर हुए नर संहार शोषण के विरुद्ध जेनेवा में आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय हुआ था । श्री भाबर ने कहा कि हम आदिवासी कौन है, यह जानना जरूरी है हमारे पूर्वक आदिकवि वाल्मिकी, माता शबरी, टंटिया भील एकलव्य, विरसा मुंडा, है। उन्होने समाज को नई दिशा देकर हमारे समाज को गोरवान्वित किया है । किन्तु हमने क्या किया इस पर पिवचार करना जरूरी है । उन्होने आदिवासी तीज त्यौहारों की परंपरा एवं सस्कृति की विस्तार ने जानकारी देते हुए शादी ब्याह की रस्मों के महत्व एवं परम्परा की विस्तार से जानकारी दी । उन्होने कहा कि ह मे अपने संस्कृति को स्थापित करके सुसंस्कृति के रूप् मे स्थापित करना होगा तभी विकास होगा । उन्होने गल, भगोरिया, आदि के सांस्कृति महत्व के बारे में भी विस्तार से बताया ।अक्षय तृतीय आदिवासियों का सबसे बडा पर्व बताते हुए कहा कि हम शिवजी के वंशज है और पुरातन परंपरा के अनुसार ही अपनी संस्कृति कोबनाये रखना है । उन्होने आदिवासियों से पढने एवं आगे बढने का आव्हान करते हुए इसे विकास के लिये जरूरी बताया । मोबाईल संस्कृति का जिक्र करते हुए इसके दुरूप्योग नही करने का आव्हान भी किया ।उन्होने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की विभिन्न योजनाओं का जिक्र करते हुए इन्हे धरातल पर उतार कर हर जरूरत मंद को लाभान्वित करने की बात कहीं ।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा शालेय प्रतियोगिता, शिक्षा, चिकित्सा, एनआईटी परीक्षा लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता अर्जित करने तथा जिले का नाम रोशन करने वाले बच्चों एवं बालिकाओं का शिल्ड देकर सम्मानित किया । वही वनाधिकारी के तहत हितग्राहियों के अधिकार पत्रों का वितरण भी किया गया । इसके बाद धार जिले से आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सन्देश का सीधा प्रसारण देखा गया । तिा आदिवासी दिवस पर विभिन्न स्कूलो के बच्चों ने आदिवासी लोक नृत्य पर आधारित कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी । कार्यक्रम का संचालन उदय बिलवाल एवं श्री कुंडल ने किया ।
आदिवासी सम्मेलन मे 258 हितग्राहियो को बांटे गये वनाधिकार पट्टे, मुख्यमंत्री ने लाइव प्रसारण के माध्यम से किया हितग्राहियो को संबोधित
झाबुआ जिले में स्थानीय पैलेस गार्डन, झाबुआ मे आज आदिवासी सम्मेलन आयोजित किया गया। आदिवासी सम्मेलन में 258 हितग्राहियो को वनाधिकार के पट्टे वितरित किये गये एवं अन्य विभागों के हितग्राहियों को भी सम्मेलन में हितलाभ का वितरण विधायक झाबुआ श्री शांतिलाल बिलवाल, विधायक पेटलावद सुश्री निर्मला भूरिया, विधायक थांदला श्री कलसिंह भाबर की उपस्थिति मे जनप्रतिनिधियो द्वारा किया गया। इस अवसर पर कलेक्टर आशीष सक्सेना, सीईओ जिला पंचायत श्रीमती जमुना भिडे सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं बडी संख्या मे हितग्राही उपस्थित थे। कार्यक्रम मे आये आमजनो ने धार मे आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम के मुख्यमंत्री के संबोधन को लाइव प्रसारण के माध्यम से देखा एवं सुना।
कार्यक्रम मे उपस्थित आमजन को संबोधित करते हुए विधायक झाबुआ शांतिलाल बिलवाल, विधायक पेटलावद सुश्री निर्मला भूरिया, विधायक थांदला कलसिंह भाबर ने परंपरागत आदिवासी संस्कृति एवं आदिवासी समाज मे जन्मे महानायको की जानकारी दी।कार्यक्रम मे जिले के ऐसे विद्यार्थियो को भी सम्मानित किया गया जिन्होने प्रतियोगी परीक्षाओ को पास कर डॉक्टर, इंजीनियर, एवं सिविल सेवाओ के क्षेत्र मे नौकरी पाई है।
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