गोपाल मंदिर में "घनश्याम प्रभु का 100 वॉ जन्म शताब्दी महोत्सव आयोजित "
झाबुआ : भजनो की धुन, ढोल - मंज़ीरो की थाप , गुरु की भक्ति में लीन झूमते हुए भक्त और आस्था का भव्य सैलाब !! यह सब मौजूद था भक्तो के अनंत , अविभूषित और ब्रह्म मूर्ति परम पूज्य घनश्याम प्रभु के १०० वे जन्म शताब्दी महोत्सव में... देश भर से आये हज़ारो श्रधालुओ ने गुरु के चरणो में नमन और सत्कार का ऐसा राग छेड़ा मानो इस गुरु भक्ति के राग में प्रकृति भी अपनी सहर्ष मौजूदगी दर्शा रही हो ,, ,, एक ऐसा जीवंत माहोल जिसे देख अनुभूति होती है की यह राग सदियों तक यु ही अनवरत चलता रहे ..///
भजन के दौरान ही भक्त उत्साह से थिरक रहे थे , महाआरती होते ही भक्तो की टोली सामूहिक नृत्य करते हुए मंदिर परिसर में उत्सव मनाने लगी। इसके बाद भजन व फिर सभी भक्तो ने मंदिर प्रांगण की परिक्रमा की। महोत्सव के दौरान शुरुवात में छपन भोग का नैवेद्य निर्धारित किया गया .
महोत्सव में पुरे मंदिर प्रांगण पर आकर्षक साज सज्जा की गयी , शाम की धुंध के साथ ही रोशनी से जगमगाता पूरा मंदिर प्रांगण और अनवरत देदीप्तमान दियो की "लो" नितांत ही महसूस कराती है की निश्चित ही प्राचीन काल में इस पावन भूमि पर कोई देव्य शक्ति प्रत्यक्ष रूप में विद्यमान रही होगी। .
महोत्सव के पहले दिन वरघोड़ा निकला गया , वरघोड़े का जगह जगह स्वागत किया गया। तपश्चात संध्या में घनश्याम प्रभु के सानिध्य में वर्षो तक रहने वाले वरिष्ठ भक्त घासीराम नायक का सतसंग कार्यक्रम रखा गया
दूसरे दिन सुबह आरती पश्चात विश्व शांति के लिए ओम गुरु का जप किया गया , जो देर रात तक चलता रहा तत्पश्चात भक्तो हेतु भंडारा का आयोजन रखा गया.
महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन को सुबह से चरण पादुका पूजन , तत्पश्चात भजन और इसके बाद महाआरती और फिर महाप्रसादी , व भंडारे के आयोजन रखा गया
महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन को सुबह से चरण पादुका पूजन , तत्पश्चात भजन और इसके बाद महाआरती और फिर महाप्रसादी , व भंडारे के आयोजन रखा गया
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